रायपुर। आरंग तहसील की 250 एकड़ भूमि में बोई गई दुर्गेश्वरी बीज की फसल पूरी तरह चौपट हो गई है। सरकार ने 70 किसानों को बीज के प्रचार-प्रसार के लिए बीज निगम के माध्यम से बीज की सप्लाई की थी, लेकिन समय से पहले बाली आने के बाद दाने झड़ गए, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है और उनकी साल भर की मेहनत खराब हो गई है। पीड़ित 70...
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खाने-पीने की चीजों में मिले अवैध कीटनाशकों के अवशेष
नई दिल्ली। देशभर के विभिन्न खुदरा दुकानों और थोक मंडियों से ली गई सब्जियों, फलों, दूध और खाने-पीने की अन्य चीजों में अवैध कीटनाशक के अवशेष पाए गए हैं। ऑर्गेनिक आउटलेट्स से लिए गए नमूनों में भी कीटनाशकों की मौजूदगी पाई गई। राष्ट्रीय स्तर पर एकत्र किए गए 20,618 नमूनों में से 12.50 प्रतिशत में कीटनाशकों के अवशेष मिले। ये नमूने कीटनाशक अवशेषों की निगरानी के लिए साल 2005 में शुरू...
More »खाद्य सुरक्षा के दबाव में कार्बन उत्सर्जन घटाना चुनौती
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। देश की खाद्य सुरक्षा के दबाव में भारत का कृषि क्षेत्र कार्बन उत्सर्जन घटाने की हालत में नहीं है। सबके लिए भोजन मुहैया कराना फिलहाल प्राथमिकता है। हालांकि उत्सर्जन को कम करने के लिए जैविक खेती और भूमि प्रबंधन, जल संरक्षण व नाइट्रोजन का उपयोग कम करने की जरूरत है। पशुओं के बगैर जैविक खेती संभव नहीं है। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचने के...
More »मातृत्व लाभ पर केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत प्रदान किए मातृत्व संबंधी हकदारियों को लागू ना करने के बारे में पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार को नोटिस जारी किया. नागरिक संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के इस कदम का स्वागत किया है. मातृत्व संबंधी हकदारियों को लागू करने के संबंध में भारत सरकार को नोटिस न्यायमूर्ति मदन लोकुर और यूयू ललित की पीठ ने जारी किया. नोटिस पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी(पीयूसीएल)...
More »खाद्य सुरक्षा: सुधर सकते हैं फिसड्डी राज्यों के भी हालात- ज्यां द्रेज, रीतिका खेड़ा
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) की दशा ठीक नहीं है। अधिनियम को लागू हुए दो साल होने को आये लेकिन कुछ ही राज्य इसपर अमल कर पाये हैं। बाकी राज्य अब भी पात्र परिवारों की पहचान, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के सुधार तथा अन्य तैयारियों से जूझ रहे हैं। तो भी, हाल के सबूतों से संकेत मिलते हैं कि कुछ राज्य अधिनियम को बेहतर ढंग से लागू कर पाये...
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