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सियासी खेल थी हज सब्सिडी-- अख्तरुल वासे

भारत सरकार ने मुसलमानों को दी जानेवाली हज सब्सिडी खत्म कर दी है. यह एक अच्छा फैसला है और इसे बहुत पहले ही खत्म कर दिया जाना चाहिए था. मुसलमानों में इस बात को लेकर कभी कोई गतिरोध या मतविरोध नहीं रहा है कि सब्सिडी नहीं खत्म की जाये. हम तो एक अरसे से इस बात की मांग करते रहे हैं कि हज के लिए किसी सब्सिडी जैसे सरकारी एहसान...

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गरीबी नहीं गैरबराबरी है चुनौती-- मृणाल पांडे

एक जमाना था, जब कक्षा से चुनावी भाषणों तक में ‘अहा ग्राम्य जीवन भी क्या है?' जैसे जुमले सुनने को मिलते थे. भला हो राग दरबारी के लेखक श्रीलाल शुक्ल का, जिन्होंने इस उपन्यास के मार्फत आजादी के बाद हमारे बदहाल गांवों की असलियत दिखाकर इस पाखंड पर ऐसी चोट की कि पढ़ने-लिखनेवाले लोग इस भावुक और निरर्थक मुहावरे से बचने लगे. फिर ‘90 के दशक में आर्थिक उदारीकरण...

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ईमानदार हो पुलिस-प्रशासन-- जगमती सांगवान

देश में आये दिन जघन्य आपराधिक घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं. हरियाणा में घटी हालिया तीन घटनाएं इसकी सबूत हैं. हरियाणा के जींद में एक दलित लड़की की रेप के बाद बुरी तरह से हत्या कर दी गयी. एक दूसरी खबर है कि पानीपत में हत्या के बाद दलित लड़की की लाश के साथ रेप हुआ. वहीं फरीदाबाद में एक लड़की का पहले अपहरण किया गया, फिर चलती...

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अधूरे बदलाव और शोषण की कथाएं- विभूति नारायण राय

पुलिस की कठोर, उबाऊ और यांत्रिक दैनंदिनी में कई बार आपका साबका मानवीय जीवन के ऐसे कारुणिक पक्ष से पड़ता है कि आप अंदर-बाहर भीग जाते हैं। बरसों तक वे आपकी स्मृति का अंग बने रहते हैं। ऐसा ही एक अनुभव 1989 के इलाहाबाद कुंभ के दौरान मुझे हुआ था। हर 12 साल पर लगने वाले कुंभ के दौरान माघ (जनवरी-फरवरी) महीने में गंगा-यमुना के संगम तट पर एक अद्भुत...

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'उन दिनों' की परेशानी से बचाने घर-घर दस्तक दे रही 'पैड आंटी'

इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। शहर में स्वच्छता की कवायद के बीच गांवों में किशोरियों और महिलाओं की आंतरिक स्वच्छता के प्रयास शुरू हो गए हैं। जंगलों में रहने वाली लड़कियों की 'उन दिनों' की परेशानी के बारे में पहली बार सुध ली जा रही है। मुफ्त सैनिटरी नैपकिन देने के लिए पैड आंटी घर-घर पहुंच रही है। छह गांव से शुरू हुआ सिलसिला नए वर्ष में 20 गांव तक पहुंचाने का...

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