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विषमता का विकास और राजनीति- सुरेश पंडित

जनसत्ता 26 दिसंबर, 2013 : जैसे-जैसे सोलहवीं लोकसभा के चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक दलों की सक्रियता बढ़ रही है। कांग्रेस और भाजपा अपने अधिकतम भौतिक और मानवीय संसाधन झोंक कर इस चुनाव को किसी भी तरह जीत लेने के लिए कटिबद्ध दिखाई दे रही हैं। मतदाताओं को रिझाने के लिए उनके पास विकास के अलावा और कोई खास मुद्दा नहीं है और चूंकि इसे पहले भी कई बार आजमाया...

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भारत का 'चुप्पा' विकास जो किसी को नहीं दिखा

उस वक्त को गुजरे ज़्यादा दिन नहीं हुए जब भारत के सबसे ग़रीब ज़िलों में बुनियादी सुविधाएं बहुत कम और विरल थीं. ज़्यादातर लोग अपने हालात के भरोसे थे. इनमें से कुछ लोगों को भरे-पूरे प्राकृतिक वातावरण का संग-साथ हासिल था और शायद उनकी जिन्दगी में वह आज़ादी और उत्साह भी था जो आज खो गया है. लेकिन अन्य बहुत से लोग भूख, असुरक्षा और शोषण के साये में रहते थे...

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यौन उत्पीड़न की जमीन- विकास नारायण राय

जनसत्ता 17 दिसंबर, 2013 :  यौनिक हिंसा के चर्चित प्रकरणों पर इन दिनों चल रही राजनीति के बीच हमें स्त्री उत्पीड़न की बुनियादों को नहीं भूलना चाहिए। लगता है जैसे सत्ता-केंद्रों की आपसी खींचतान कहीं असली मुद्दों को हड़प न ले! अन्यथा शीर्ष न्यायालय के जज, अति महत्त्वाकांक्षी राजनीतिक, चर्चित मीडिया संपादकऔर भक्तों-संपत्तियों के धर्मगुरु को लपेटे में लेने वाले ये शर्मनाक प्रकरण, स्त्री विरुद्ध हिंसा के व्यापक लैंगिक संदर्भों...

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आदिवासी विमर्श का दायरा- अनिल चमड़िया

जनसत्ता 25 नवंबर, 2013 : बढ़ता कृषक असंतोष, छिटपुट विस्फोटों से प्रकट हो रहा है- भू-स्वामियों के बढ़ते शोषण और दमन के विरोध में सशस्त्र प्रतिरोध की तरफ बढ़ता हुआ यह घटनाचक्र पूरे देश के पैमाने पर, विशेषकर आदिवासियों की तरफ फैलता जा रहा है।’ क्या शीर्षक (आदिवासी: शोषितों में सबसे बुरी स्थिति) समेत इन पंक्तियों के बारे में यह ठीक-ठीक अनुमान लगाया जा सकता है कि ये कब लिखी गई होंगी?...

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नये भूमिअधिग्रहण कानून, जनआंदोलन और उनकी राजनीति का असर पर दो दिवसीय बैठक

निमंत्रण नये भूमिअधिग्रहण कानून, जनआंदोलन और उनकी राजनीति का असर पर दो दिवसीय बैठक नवंबर 19-20-2013 9ः30 प्रातः से सांय 6ः00 बजे तक, गांधी शांति प्रतिष्ठान, दीन दयाल उपाध्याय मार्ग, नई दिल्ली प्रिय साथियों, जिंदाबाद जनआंदोलनांे के बरसों चले लम्बे संघर्ष के बाद देश में औपनिवेशिक भूमि अधिग्रहण कानून, 1894 के स्थान  पर ‘‘उचित मुआवजे का अधिकार, भूमिअधिग्रहण में पारदर्शिता, पुनर्वास और पुर्नस्थापना कानून, 2013‘‘ आया है। आम चुनाव व विधानसभा चुनाव कई राज्यों में होने वाले...

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