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गुजरात मॉडल की असलियत- कृष्ण स्वरुप आनंदी

जनसत्ता 19 फरवरी, 2014 : गुजरात का विकास चर्चा का विषय बना दिया गया है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि अन्य राज्यों के लिए ही नहीं, बल्कि समूचे देश के लिए भी एक बेहतरीन अनुकरणीय मॉडल गुजरात ने प्रस्तुत किया है। उस मॉडल को देशव्यापी बनाने का सपना जोर-शोर से लोगों को दिखाया जा रहा है। विकास, सुशासन, समृद्धि, रोजगार सृजन जैसे शब्द तेजी से हवा में उछाले...

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घरेलू नौकरों के जीवन और जीविका की दशा पर परिचर्चा

इन्क्लूसिव मीडिया फॉर चेंज, सीएसडीएस, द्वारा आयोजित परिचर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं   विषय- Work like any other? Accounting for domestic work in India वक्ता: भारती बिरला, राष्ट्रीय परियोजना समायोजनक, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन(ILO)   नीता पिल्लई, प्रोफेसर, सेंटर फॉर विमेन्स डेवलपमेंट स्टडीज          अमरजीत कौर, राष्ट्रीय सचिव, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस   मैक्सिमा एक्का,डोमेस्टिक वर्कर्स फोरम ब्रदर वर्गीज थेकनाथ- समायोजक, डोमेस्टिक वर्कर्स फोरम ऑव इंडिया   तारीख: 19 फरवरी ∣ स्थान: प्रेस क्लब ऑव इंडिया ∣ समय:...

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हुंडरू में युवाओं ने सौर ऊर्जा से खोली आजीविका की अनोखी राह

रंगबिरंगी छतरी के नीचे खड़े कैमरा लटकाये इन युवाओं को देखिए. बेदिया जनजाति से आने वाले ये युवा स्वयं से रोजगार सृजन कर आत्मनिर्भर होने की अद्भुत मिसाल हैं. इन युवाओं ने रोजगार के लिए फोटोग्राफी के हुनर को अपनाया है और वह भी ऐसी जगह पर जहां बिजली की आपूर्ति नहीं  है. सौर ऊर्जा को बिजली के विकल्प के रूप में अपनाया और नयी  तकनीक का इस्तेमाल करते हुए...

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हुंडरू में युवाओं ने सौर ऊर्जा से खोली आजीविका की अनोखी राह

रंगबिरंगी छतरी के नीचे खड़े कैमरा लटकाये इन युवाओं को देखिए. बेदिया जनजाति से आने वाले ये युवा स्वयं से रोजगार सृजन कर आत्मनिर्भर होने की अद्भुत मिसाल हैं. इन युवाओं ने रोजगार के लिए फोटोग्राफी के हुनर को अपनाया है और वह भी ऐसी जगह पर जहां बिजली की आपूर्ति नहीं  है. सौर ऊर्जा को बिजली के विकल्प के रूप में अपनाया और नयी  तकनीक का इस्तेमाल करते हुए...

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विषमता का विकास- सुषमा वर्मा

जनसत्ता 17 फरवरी, 2014 : विश्व बैंक की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीना लेगार्ड ने हाल ही में यह रहस्योद्घाटन  किया कि भारत के अरबपतियों की दौलत पिछले पंद्रह बरस में बढ़ कर बारह गुना हो गई है। क्रिस्टीना के अनुसार, इन मुट्ठी भर अमीरों के पास इतना पैसा है जिससे पूरे देश की गरीबी को एक नहीं, दो बार मिटाया जा सकता है। लेगार्ड के इस बयान से पुष्टि होती है...

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