एक कथन है- 'एक नागरिक की जवाबदेही यही होती है कि जो कुछ भी उसके आस-पास गलत हो रहा है, वह उस पर लोकतांत्रिक ढंग से अपना हस्तक्षेप दर्ज करे.' यह कथन प्रमुख सामाजिक, मानवाधिकार कार्यकर्ता बेला भाटिया का है, जो उन्होंने कुछ दिन पहले एक साक्षात्कार में कहा है. वर्ष 2005 से बस्तर अधिक अशांत है. इसी वर्ष छत्तीसगढ़ सरकार ने कई उद्योगपतियों-कॉरपोरेटरों के साथ एमओयू साइन किया था....
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कोलकाता हाईकोर्ट के जज बोले- सुप्रीम कोर्ट में है ऊंची जाति का दबदबा
कोलकाता हाई कोर्ट के जस्टिस सीएस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाई कोर्ट के किसी सिटिंग जज को नोटिस थमाने के अधिकार पर ही सवाल खड़े किए हैं। जस्टिस कर्णन ने रजिस्ट्रार जनरल को खत लिखकर कहा है कि हाई कोर्ट के सिटिंग जस्टिस के खिलाफ कार्यवाही सुनवाई योग्य नहीं है। इसके साथ ही जस्टिस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट के जजों की बेंच पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया...
More »राजनीतिः नगालैंड में महिला आरक्षण की गुत्थी-- दिनकर कुमार
नगालैंड की राजनीति में महिलाओं की अनुपस्थिति को अच्छी तरह महसूस किया जा सकता है। साठ सदस्यीय राज्य विधानसभा के लिए आज तक एक भी महिला नहीं चुनी जा सकी है। अब तक बस एक बार किसी महिला को सदन में पहुंचने का मौका मिला। उनका नाम रानो एम शाइयिजा था, जो 1977 में लोकसभा के लिए चुनी गई थीं। नगालैंड की राजनीति में महिलाओं की नगण्य उपस्थिति एक बार...
More »सुस्त रेंगती भारतीय ट्रेनें -- बिभाष
पहली फरवरी को वित्त मंत्री ने स्वतंत्र भारत में पहली बार रेल बजट को मुख्य बजट में शामिल करके पेश किया. रेल को बजट के भाग-क के पांचवें चैप्टर में इंन्फ्रास्ट्रक्चर शीर्ष के अंतर्गत शामिल किया गया है. बजट के इस हिस्से की शुरुआत में उन्होंने कहा कि रेल, रोड और नदियां हमारे देश की जीवन-रेखा हैं और इस संयुक्त बजट से उन्होंने आशा जगायी कि अब रेलवे, सड़क, जल...
More »नौकरियां कहां हैं?-- संदीप मानुधने
एक सौ तीस करोड़ से अधिक की जनसंख्या के हमारे देश में हमें लगातार बताया गया है कि अधिकांश आबादी युवा है और यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है. यह तर्क मैंने 1997 के बाद से लगभग हर राजनेता को इस्तेमाल करते देखा. तब उम्मीदें आसमान तो छू रही थीं, क्योंकि वैश्वीकरण के चलते हर तरह की तरक्की का वादा हमसे हुआ था, (और कुछ हद तक वैसा हुआ भी)....
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