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मुद्दा शिक्षकों को जिम्मेदार बनाने का भी है- मुकुल श्रीवास्तव

निःशुल्क एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है। इसी को ध्यान में रखते हुए विश्व के सभी शीर्ष नेताओं ने इसे सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों का हिस्सा बनाया और वर्ष 2015 तक हर बच्चे को प्राइमरी शिक्षा मुहैया कराने का निर्णय लिया। भारत के लिए आज की तारीख में इस लक्ष्य की प्राप्ति सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद असंभव दिखती है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश...

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नक्सली दहशत के चलते गांव छोड़ गए आदिवासी लाए जाएंगे वापस

जगदलपुर (ब्यूरो)। नक्सल दहशत के चलते अपना घरबार छोड़कर पड़ोसी प्रदेशों में कई वर्षों से निर्वासित जीवन गुजार रहे दक्षिण बस्तर के आदिवासियों को सुरक्षित उनके गांव लाकर फिर से बसाने की कवायद की जा रही है। गांव छोड़कर गए ज्यादातर ग्रामीण सुकमा जिले के कोंटा ब्लॉक के हैं। लगभग 25 हजार आदिवासी कोंटा से सटे तेलंगाना के खम्मम व वारंगल जिले के ग्रामीण इलाकों में रह रहे हैं। आडिशा के...

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ओझल आदिवासी समाज- विनोद कुमार

जनसत्ता 26 अगस्त, 2014 : आदिवासी समाज के बारे में इधर हमारी दृष्टि बदली है। बावजूद इसके आदिवासी बहुल इलाकों के बाहर आदिवासी समाज के बारे में अब भी एक कौतूहल का भाव रहता है। इस परिप्रेक्ष्य में यह जानना दिलचस्प होगा कि गैर-आदिवासी समाज आज भी आदिवासी समाज को किस रूप में देखता है। राजनेताओं की नजर में आदिवासी समाज की अहमियत क्या है, इसे हम कुछ उदाहरणों से...

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न्यायिक स्वतंत्रता को खतरा- एम के वेणु

राज्य के नीति-निर्देशक तत्व के अनुच्छेद 50 में न्यायपालिका को कार्यपालिका से अलग रखने का निर्देश दिया गया है, ताकि उसकी स्वतंत्रता बनी रहे, जो संविधान के रखवाले की उसकी भूमिका के लिए आवश्यक है। अलबत्ता राज्य के हर अंग और लोकतंत्र के प्रत्येक सार्वजनिक पदाधिकारी की तरह न्यायपालिका भी एक संस्थान है और हर न्यायाधीश सार्वजनिक पदाधिकारी, जो राजनीतिक संप्रभुता-यानी जनता के प्रति जवाबदेह होता है। फर्क सिर्फ जवाबदेही...

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कई जरूरी मुद्दों का जिक्र तक नहीं हुआ!- उर्मिलेश

भाजपा के समर्थक ही नहीं, अनेक गैर-भाजपाई लोग भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 15 अगस्त के भाषण की तारीफ करते मिल रहे हैं. उनमें ज्यादातर इस बात की तारीफ कर रहे हैं कि उनका भाषण लिखा हुआ नहीं था, उसमें अद्भुत जोश था, जमीनी-अनुभवों की रोशनी थी, बड़े वायदे नहीं किये पर जो बातें कहीं, वे बहुत सारगर्भित थीं. बुलेट-प्रूफ कांच की दीवार के बगैर भाषण देने के उनके बेखौफ...

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