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रायल्टी चोरी, विभाग लीपापोती के फेर में

बड़गांव. तेंदूपत्ता संग्रहण में रायल्टी चोरी करने वाले ठेकेदार,वन कर्मियों के खिलाफ ग्रामीणों ने लिखित शिकायत वन विभाग के आला-अधिकारियों से की, उसकी जांच भी हुई, शिकायत सही पाई गई। इस मामले को साल भर हो गए,अब विभाग के अधिकारी इस मामले में लीपापेाती के फेर में हैं। क्या है मामला : वर्ष 2009 में तेंदूपत्ता सीजन में पर्व वन मंडल भानुप्रतापपुर के करकापाल समिति में हैदराबाद के एक ठेकेदार ने तेंदूपत्ता खरीदने का ठेका लिया था।...

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जहां घरों में आज भी नहीं लगते ताले

रायगढ़. आज भागमभाग, वैमनस्यता के दौर मंे अगर पूरा गांव एकता के सूत्र मंे बंधकर अनोखी मिसाल पेश करे तो लोगों के लिए भी वह प्रेरणा का केंद्र बन जाता है। जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर बसे घरघोड़ा ब्लाक मंे प्रकृति की सुरम्य वादियों मंे बसा है गांव कटंगडीह। ग्राम पंचायत गुमड़ा के इस आश्रित गांव में करीब ९क्क् की आबादी है। यहां १क्क् से ११क् परिवार रहते हैं। यहां के ग्रामीणोें...

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शिक्षा के मंदिर में कमाई की दुकान

नई दिल्ली [हिमांशु शेखर]। देश के ज्यादातर हिस्सों में नर्सरी में दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अपने बच्चे के दाखिला के लिए अभिभावक स्कूल-दर-स्कूल भटक रहे हैं। अभिभावक हर हाल में अपने बच्चों को किसी न किसी अच्छे स्कूल में देखना चाहते हैं। यही वजह है कि वे अपने बच्चों के दाखिले के लिए कई-कई स्कूलों में आवेदन कर रहे हैं। अभिभावकों की इसी मजबूरी का फायदा उठाने के लिए निजी स्कूलों ने...

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लोकतंत्र पर भारी पड़ी भूख की लड़ाई

दाउदनगर (औरंगाबाद) झारखंड के मजदूरों को राजनीति से कोई मतलब नहीं रह गया है। यहां जिनोरिया में कृषि कार्य करने पलामू और गढ़वा जिला से दर्जनों मजदूर आए है। उन्हे इससे भी कोई मतलब नहीं है कि झारखंड की राजनीति क्या हो रहा है। उन्हें बस अपने पेट की चिंता है। छतरपुर के रामपति भुईयां कहते है कि घर दुआर हइए नहीं है, खपरैल है, जैसे तैसे रहते है। चुआड़ी बनाकर बरसात का पानी पीते...

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निर्भर नहीं, आत्मनिर्भर !- मिहिर शाह

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) क्रांतिकारी जनपक्षधर विकास कार्यक्रमों का वायदा करती है। ग्राम सभा और ग्राम पंचायतों द्वारा उसकी योजना, क्रियान्वयन और जांच-परख से हजारों स्थायी रोजगार पैदा हो सकते हैं। लेकिन नरेगा की लड़ाई बरसों से चले आ रहे एक बुरे अतीत के साथ है। पिछले साठ सालों से ग्रामीण विकास की योजनाएं राज्य की इच्छा और सदाशयता पर ही निर्भर रही हैं। श्रमिकों को दरकिनार करने वाली मशीनों और ठेकेदारों को काम...

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