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सरकार ‘कमेटी’ पर सोचेगी, किसान धरना चालू रखेंगे, अदालत क्रिसमस की छुट्टी पर जा रही है

-जनपथ, सुप्रीम कोर्ट में मुख्‍य न्‍यायाधीश की बेंच के समक्ष आज दो तरह की याचिकाओं पर सुनवाई तय थी। पहली श्रेणी में वे याचिकाएं थीं जो तीन किसान कानूनों को रद्द करने के लिए लगायी गयी थीं। दूसरे किस्‍म की याचिकाएं वे थीं जो दिल्‍ली में किसानों का धरना समाप्‍त करवाने के अनुरोध से लगायी गयी थीं। कोर्ट ने किसान कानूनों को चुनौती देने वाली याचिका सुनने से इनकार कर दिया...

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किसान आंदोलन: पंजाब की खेती गेहूं, धान और MSP से आबाद हो रही है या बर्बाद?

-बीबीसी, पंजाब के ज़्यादातर किसान गेहूं और धान की खेती करते हैं. इन दोनों फसलों पर एमएसपी मिलती है और सरकारी ख़रीद की गारंटी भी. जब फसल से कमाई और ख़रीद दोनों सुनिश्चित हो तो भला तीसरी फसल के पीछे किसान क्यों भागेगा? लेकिन इन दोनों फसलों की कामयाबी ने उसके सामने ऐसा चक्रव्यूह बना दिया है कि वो चाह कर भी इससे बाहर नहीं निकल पा रहा. दिल्ली के तमाम बॉर्डर पर...

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MSP की लड़ाई में न फंसे- भारत को WTO कानूनों में मौजूद असमानता को दूर करने का प्रयास करना होगा

-द प्रिंट, क्या भारत विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के तहत अपने कानूनी दायित्वों का उल्लंघन किए बिना अपने किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की वैध गारंटी दे सकता है? क्या हैं समर्थन मूल्य और कृषि सब्सिडी से संबंधित ये कानून और भारत की प्रतिबद्धताएं क्या हैं? अब तक, एमएसपी जैसे किसान समर्थक उपायों को लागू करने के लिए भारत एक तरफ खाद्य एवं आजीविका सुरक्षा और दूसरी तरफ डब्ल्यूटीओ कानून में...

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कोरोना और सर्दी के बीच एम्स के बाहर रात गुजारने को मजबूर मरीज

-न्यूजलॉन्ड्री,  राजधानी दिल्ली में स्थित देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में अच्छे व सस्ते इलाज की उम्मीद में देश के कोने-कोने से लोग आते हैं. यहां आम आदमी ही नहीं बल्कि नेता, मंत्री और देश की जानी मानी हस्तियां भी इलाज के लिए अखिल भारतीय आयुविज्ञान संस्थान (एम्स) को प्रमुखता देती हैं. एक आम आदमी जो प्राइवेट अस्पताल का खर्च वहन नहीं कर सकता, वह एम्स को अपनी आखिरी उम्मीद...

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हाथों से मैला उठाने की कुप्रथा यहाँ पीढ़ियों से चली आ रही, इस दंष से अभी तक आजाद नहीं हुई ये महिलाएं

-गांव कनेक्शन, बांस की डलिया बगल में दबाकर नीले रंग की छींटदार साड़ी पहने शोभारानी रोजमर्रा की तरह आज भी सुबह 10 बजे मैला उठाने के लिए गाँव की गलियों में निकल पड़ी थीं। नाक पर साड़ी का पल्लू बांधकर ये मैला उठा रहीं थीं। शोभारानी अपने गांव में ही उन घरों से मैला (मानव मल) उठाने जा रही थीं, जिनके घरों में या तो शौचालय नहीं हैं या फिर वो...

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