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पेयजल व शौचालय निर्माण के लिए जितनी जरूरत होगी देगा केंद्र, खर्च तो करे राज्य सरकार: रामकृपाल

पटना: केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता राज्यमंत्री रामकृपाल यादव ने कहा कि बिहार में पेयजल और शौचालय के निर्माण के लिए जितनी राशि की जरूरत होगी, केंद्र देने को तैयार है. हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार पेयजल, शौचालय निर्माण और सोलर लाइट के लिए जो राशि उपलब्ध करा रही है, उसे खर्च नहीं किया जा रहा है. प्रभात खबर के दफ्तर में मंगलवार की शाम आये केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा...

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सर्व शिक्षा अभियान के 606 करोड़ मिले, अब तक 30 फीसदी राशि ही मिली

रांची: वित्तीय वर्ष 2014-15 में सर्व शिक्षा अभियान के लिए 1937 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. इसमें से अब तक करीब 30 फीसदी राशि यानी 606 करोड़ रुपये ही मिले हैं. जबकि वित्तीय वर्ष पूरा होने में लगभग साढ़े चार माह बचे हैं. राशि नहीं मिलने के कारण कई प्रमुख योजनाएं शुरू नहीं हो सकी हैं. राज्य में कक्षा एक से आठ तक लगभग 48 लाख बच्चों को नि:शुल्क...

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‘मेड बाय इंडियंस’ की हो पहल- डा. भरत झुनझुनवाला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर विदेशी निवेशकों का आह्वान किया था कि वे भारत में आकर माल का उत्पादन करें. इस आह्वान से मैं असमंजस में था. ऐसा लगा कि वे यूपीए3 सरकार के मुखिया के रूप में बोल रहे थे. अब भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव मुरलीधर राव ने स्पष्ट किया है कि अर्थव्यवस्था से विदेशी निवेशकों को बाहर नहीं रखा जायेगा, परंतु मुख्य इंजन विदेशी निवेश नहीं...

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बालाघाट जिले में रतनजोत के बीज खाने से बच्चों की हालत बिगड़ी

बालाघाट। नवेगांव ग्रामीण थाना क्षेत्र के कन्हड़ गांव में रतनजोत के बीज खाने से स्कूली बच्चे बीमार हो गए। जिन्हें इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। कन्हड़ गांव स्थित प्राथमिक शाला के आधा दर्जन से अधिक बच्चों ने रतनजोत के बीज का सेवन कर लिया। जब बच्चों को उल्टी होने लगी तो, गांव में हड़कंप मच गया। प्राथमिक उपचार गांव के स्वास्थ्य केन्द्र में दिया गया।...

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बढ़ते संसाधन घटता ज्ञान - शंकर शरण

जनसत्ता 11 नवंबर, 2014: एक समय था जब देश के जिला केंद्र ही नहीं, अनेक कस्बों में भी भाषा, गणित और विज्ञान के ऐसे शिक्षक होते थे जिनकी स्थानीय ख्याति हुआ करती थी। यह दो पीढ़ी पहले तक की बात है। तब विद्यालयों के पास संसाधन कम थे और शिक्षकों का वेतन भी बहुत कम था। स्कूल के कमरे, मामूली कुर्सी, बेंच, पुस्तक, छात्र और शिक्षक, यही तत्त्व शिक्षा-परिदृश्य बनाते...

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