नयी दिल्ली। मोदी सरकार महिला सशक्तिकरण की बात करती हैं। उन्हें संपन्न बनाने की बात करती है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि पुलिस में तैनात महिला जवान कैसे अभाव में अपना काम करती हैं? शौचालय ना जाना पड़े इसके लिए वो लंबे वक्त तक पानी पिए बिना रहती है। पुलिस में कार्यरत महिलाओं के बीच किए गए एक सर्वे में पाया गया कि उन्हें शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा के अभाव,...
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अमानवीय हालात में जी रहे कैदी-- संगीता भटनागर
देश की जेलों की दयनीय स्थिति, इनमें बंद विचाराधीन कैदी तथा दोषियों की बढ़ती संख्या एक बार फिर न्यायिक समीक्षा के दायरे में आ गयी है। देश की 1387 जेलों में उनकी क्षमता से कहीं अधिक बंदी हैं और इस वजह से इनमें विचाराधीन कैदियों और दोषी कैदियों को काफी हद तक अमानवीय परिस्थितियों में रहना पड़ रहा है। एक बार फिर देश की शीर्ष अदालत ने इस ओर ध्यान देते...
More »उच्च शिक्षा में बढ़ती खाई-- शैलेन्द्र चौहान
भारत सरकार ने विश्वविद्यालय में शिक्षा हासिल करने वाले शिक्षार्थियों की संख्या 2030 तक बढ़ा कर तीस प्रतिशत करने का लक्ष्य तय कर रखा है। जबकि भारत में सिर्फ बारह प्रतिशत लोगों को ही विश्वविद्यालयों में प्रवेश मिल पाता है। वर्तमान में भारत में दूरस्थ शिक्षा (डिस्टेंस लर्निंग) यानी घर बैठे पढ़ाई करने वालों की तादाद पैंतीस लाख है। चिंताजनक बात यह कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने छात्रों और...
More »आधी अधूरी खाद्य व्यवस्था-- जाहिद खान
तत्कालीन यूपीए सरकार जब साल 2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक लेकर आई, तो यह उम्मीद बंधी थी कि इस विधेयक के अमल में आ -जाने के बाद देश की 63.5 फीसद आबादी को कानूनी तौर पर तय सस्ती दर से अनाज का हक हासिल हो जाएगा। अफसोस, इस कानून को बने तीन साल हो गए, मगर यह आज भी पूरे देश में अमल में नहीं आ पाया है। नौ...
More »शहरी और ग्रामीण गरीबी की आंख खोलती तस्वीर-- उमेश चतुर्वेदी
विकास के दावों के बीच जब राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण की रिपोर्टें आती हैं, तो इन कोशिशों के विद्रूप की ओर न सिर्फ ध्यान दिलाती हैं, बल्कि ऐसे दावों की एक हद तक कलई भी खोल देती हैं। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण की रिपोर्टें चूंकि कोई निजी संस्था या गैर सरकारी संगठन तैयार नहीं करता, लिहाजा इस पर सरकारों के लिए भी सवाल उठाने की गुंजाइश नहीं रह पाती। हाल में ग्रामीण...
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