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लोकपाल विधेयक-- 15 नहीं 16 अगस्त का इंतजार- पु्ण्य प्रसून वाजपेयी

जन लोकपाल अगर सरकारी लोकपाल नहीं हो सकता और सरकारी लोकपाल का मतलब अगर भ्रष्टाचार का लाइसेंस सरकार के ही पास रखनेवाला है, तो फ़िर अन्ना हजारे का आंदोलन भी अब महज भ्रष्टाचार के खिलाफ़ मुनादीवाला नहीं हो सकता. क्योंकि सिविल सोसाइटी के लिए जो मुद्दे भ्रष्टाचार के घेरे में आते हैं, सरकार के लिए वह संसदीय व्यवस्था का तंत्र है. शायद इसीलिए पहली बार लोकतंत्र के तीनों पाये चेक एंड बैलेंस...

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भारत, इंडिया या फिर हिंदुस्तान, गृह मंत्रालय को नहीं मालूम क्या है हमारे देश का नाम

मुंबई. हमारे देश का नाम क्या है, भारत, इंडिया या फिर हिंदुस्तान। देश के गृह मंत्रालय को भी इसकी जानकारी नहीं है कि आखिर हमारे देश का वास्तविक नाम क्या है। गृह मंत्रालय ने इस बात को एक सूचना के अधिकार के तहत जानकारी देते हुए स्वयं माना है। गृह मंत्रालय ने अपने जवाब में यह भी कहा है कि भारतीय संविधान में किसी राष्ट्रभाषा की कोई जानकारी नहीं है, जबकि संविधान में...

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यूआईडी नंबर देने में मध्यप्रदेश पिछड़ा

भोपाल. यूनिक आईडेंटीफिकेशन (यूआईडी) नंबर देने में मध्यप्रदेश दक्षिण भारत के राज्यों से पिछड़ गया है,जबकि मप्र इस प्रोजेक्ट को लांच कराने वाला देश का पहला राज्य है। हालांकि उत्तर भारत के अन्य राज्यों से मध्य प्रदेश आगे है। मप्र के छह जिलों में अब तक ढाई लाख नागरिकों को नंबर जारी हो चुके हैं,जिसमें से डेढ़ लाख से ज्यादा राज्य शासन ने बनाए हैं। यह जानकारी विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के महानिदेशक...

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मुद्दा: अन्ना का अनशन या संन्यासी का सत्याग्रह

दो मुहिम। मकसद एक। जनमानस को उद्वेलित करने वाला पहला आंदोलन गांधीवादी अन्ना हजारे के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के खिलाफ चला। शांति और सादगी से ओतप्रोत इस आंदोलन में भ्रष्टाचार के खिलाफ मौन जनाक्रोश हर जगह दिखा। शासन को भी इस गंभीरता का शीघ्र ही अहसास हो चला। परिणामस्वरूप भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए जरूरी तरकीबों को ढूंढने का चरणबद्ध सिलसिला शुरू हुआ। भ्रष्टाचार के खिलाफ ही दूसरे आंदोलन का...

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वैकल्पिक राजनीति की तलाश!- योगेन्द्र यादव

हमें राजनीति में विकल्प चाहिए, राजनीति के विकल्प चाहिए या फ़िर वैकल्पिक राजनीति चाहिए? अन्ना हजारे और बाबा रामदेव प्रकरण ने यह सवाल देश के सामने खड़ा कर दिया है. इसका उत्तर न तो रामदेव के पास था, न अन्ना हजारे के पास लगता है. इस गहरे सवाल का जवाब खुद अपने भीतर खंगालने से ही मिलेगा. यह सवाल उठता ही नहीं अगर भ्रष्टाचार के सवाल पर सरकार की साख बची होती. ईमानदार...

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