मणिपुर में लागू सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफ्स्पा) नाम का कठोर कानून हटाने को लेकर इरोम शर्मिला का आमरण अनशन अपने बारहवें वर्ष में प्रवेश कर चुका है. सालों के उपवास का असर उनके क्षीण शरीर पर साफ दिखता है. इसके बावजूद उनकी दृढ़ता और अपने उद्देश्य के प्रति उनके समर्पण में जरा भी कमी नहीं आई है. उर्मि भट्टाचार्य के साथ हुई उनकी बातचीत के अंश बारह साल से आपने अन्न-जल त्याग...
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गांधी और आंबेडकर का रिश्ता- श्रीभगवान सिंह
जनसत्ता 7 जुलाई, 2012: पिछले दो-तीन दशकों का एक बड़ा राजनीतिक यथार्थ यह है कि राष्ट्रपिता के रूप में समादृत गांधी के ऊपर डॉ भीमराव आंबेडकर को न सिर्फ खड़ा करने, बल्कि गांधी को आंबेडकर और दलित विरोधी भी सिद्ध करने की कोशिश लगातार की जा रही हैं। यह सब हो रहा है आंबेडकर के नाम पर दलित राजनीति करने वाले आंबेडकरवादियों द्वारा, क्योंकि इसके जरिए उनके लिए एक समुदाय...
More »मंदी से बचे रहेंगे खेत और किसान
सामाजिक कार्यकर्ता अशोक भगत अपने वैचारिक आधार से ज्यादा गांवों के विकास का आधार तैयार करने के लिए जाने जाते हैं. 1983 में उन्होंने देश के सबसे पिछड़े जिलों में से एक गुमला के बिशुनपुर से विकास भारती नामक संस्था बना कर ग्राम विकास के काम की शुरुआत की. आज इस संस्था की राज्य के हर जिले में उपस्थिति है. विकास भारती का 30 वां साल चल रहा है. लंबी यात्र...
More »कितना सुधार पाएंगे मनमोहन- परंजय गुहा ठाकुरता
देश के एक बड़े तबके, खासकर उद्योग जगत, को यह लगने लगा है कि मनमोहन सिंह द्वारा वित्त मंत्रालय का प्रभार संभालने के बाद आर्थिक सुधारों की गति में तेजी आएगी। अटके हुए अनेक प्रस्तावों को हरी झंडी मिल जाएगी। कहा यह भी जा रहा है कि मनमोहन सिंह ही भारतीय अर्थव्यवस्था के तारणहार साबित होंगे। पर यह बेहद चुनौतीपूर्ण काम है। अर्थव्यवस्था और राजनीति से जुड़े सारे नीतिगत फैसले...
More »जमीन पक रही है- भारत डोगरा
जनसत्ता 23 जून, 2012: अगर हमारे देश में ग्रामीण निर्धन वर्ग और विशेषकर भूमिहीन वर्ग को टिकाऊ तौर पर संतोषजनक आजीविका मिले इसके लिए भूमि-सुधार बहुत जरूरी है। इसके अलावा, अन्यायपूर्ण भूमि अधिग्रहण द्वारा जिस तरह तेजी से बहुत-से किसानों खासकर आदिवासियों की जमीन लेकर उन्हें भूमिहीन बनाया जा रहा है, उस पर रोक भी लगानी होगी। ऐसे महत्त्वपूर्ण सवालों के न्यायसंगत समाधान के लिए इस वर्ष के आरंभ से एक प्रयास...
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