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तीन नए कृषि अध्यादेश बड़े खिलाडियों के लिए हैं

-लोकवाणी, किसान को अपनी फ़सल बेचने व स्टॉक की छूट! अब किसान अपना उत्पाद स्टॉक कर सकता है और किसी भी राज्य में जहाँ उसे बढ़िया भाव मिले वहाँ बेच सकता है. इस बात का बड़े ज़ोर शोर से प्रचार किया जा रहा है. वैसे ये बंदिश कब थी? ख़ैर, मान लिया कि किसी भी राज्य में बेचने की व स्टॉक की छूट दी है इससे किसान अपनी मर्ज़ी का भाव...

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देश के 67 फीसदी हथकरघा कामगारों की आमदनी 5,000 रुपए महीने से कम: सरकार

-डाउन टू अर्थ, चौथी अखिल भारतीय हथकरघा गणना 2019-20 के अनुसार देश में हथकरघा कारीगर परिवारों की संख्या 31,44,839 है। इनमें से लगभग 67.1 फीसदी परिवारों की आमदनी 5,000 रुपए प्रति माह से भी है, जबकि 26 फीसदी परिवार 5 से 10 हजार रुपए महीना कमा रहे हैं। 10 से 15 हजार रुपए महीना कमाने वाले परिवारों की संख्या 4.5 फीसदी है और 15 से 20 हजार रुपए महीना कमाने वाले परिवारों...

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हरियाणा: जान जोखिम में डाल सीवर साफ करने वाले रोहतक के कर्मचारियों को नहीं मिलता तय वेतन

-न्यूजलॉन्ड्री, साल 1995 की बात है. हरियाणा का रोहतक शहर बाढ़ से बुरी तरह जूझ रहा था. पानी की निकासी के सारे रास्ते बंद होने के कारण लोगों के घरों में चार-चार फुट तक पानी भर गया था. बाढ़ के पानी में शहर का मल-मूत्र भी तैर रहा था, जिसके कारण पूरे शहर का जीवन नरकीय हो गया था. ऐसी स्थिति में शहर को इस संकट से बचाने का सारा दबाव...

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किसानों के विरोध के बीच लोकसभा में कृषि से जुड़े विधेयक पेश, कृषि मंत्री ने कहा- MSP के प्रावधानों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा

-गांव कनेक्शन, संसद के मानसून सत्र के पहले दिन कृषि से जुडे़ तीन विधेयक लोकसभा में पेश किये गये। विपक्ष ने किसान विरोधी बताकर इनका विरोध किया लेकिन कृषि मंत्री ने कहा कि ये विधेयक किसानों की स्थिति बदलेंगे और इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के प्रावधानों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। देशभर में किसान पहले से ही इन अध्यादेशों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री...

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2020 में हम भारतीयों को 1920 के इटली को जानने की जरूरत क्यों है?

-सत्याग्रह, मैं जीवनियां खूब पढ़ता हूं. इनमें बहुत सी विदेशी हस्तियों की होती हैं जो उनके देश, काल और परिस्थितियों के बारे में बताती हैं. हाल ही में मैंने कनाडाई विद्वान फाबियो फर्नांडो रिजी की किताब ‘बेनेडेट्टो क्रोसे एंड इटैलियन फासिज्म’ खत्म की है. इस किताब में एक महान दार्शनिक की जीवनी के सहारे उस दौर की एक बड़ी सच्चाई बताई गई है. रिजी की किताब पढ़ने के बाद मुझे 1920 के...

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