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झुग्गियों से ब्रिटेन तक, नए भविष्य की उम्मीद

‘स्लमडॉग मिलेनियर’ फिल्म में हमने गरीबी में जी रहे बच्चों की अमीर बनने से कहानी देखी है. अब भारत की कुछ बड़ी झुग्गी झोपड़ी बस्तियों के बच्चों का एक समूह ब्रिटेन में अपने जीवन पर आधारित एक म्यूज़िकल पेश कर रहा है. इनमें से अधिकतर बच्चे कूड़ा बीनने का काम करते हैं और बाकियों के माता-पिता लोगों के घर काम करते हैं. दस से चौदह साल के बीच के इन बच्चों...

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भोजन बर्बाद करने की इज्जत- अरुण कुमार त्रिपाठी

जनसत्ता 2 जुलाई, 2012: भोजन की बरबादी को सामाजिक प्रतिष्ठा माना गया है। उत्तर भारत की एक कहानी इस पाखंड को बखूबी बयान करती है। पिता ने अपने पुत्र को समझाया कि जब भी किसी और के घर आयसु (न्योता) खाने जाओ तो थोड़ा-बहुत भोजन छोड़ दिया करो। बेटे ने पूछा, पिताजी ऐसा क्यों? पिता ने समझाया कि बेटा, वह इज्जत है। आयसु खाते समय बेटे को पिता की हिदायत भूल...

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रियो+20 के लिए राष्ट्रीय व वैश्विक प्राथमिकताएं

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संपूर्ण विश्व के राष्ट्राध्यक्ष, सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधि और विकास के मुद्दों से जुड़े विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधी 20 से 22 जून 2012 को ब्राजील की राजधानी रियो दी जेनेरियो में एकत्रित होने जा रहे हैं। इस महासम्मेलन को रियो+20 का नाम दिया है क्योंकि 20 वर्ष पूर्व (1992) भी रियो में 172 सरकारों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पर्यावरण और विकास के...

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वैज्ञानिकों ने दी धरती के अंत की चेतावनी

लगातार बढ़ रही जनसंख्या अब धरती के अस्तित्व के लिए ही खतरा बन गई है। अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के एक समूह ने धरती के अंत की ओर बढ़ने की चेतावनी देते हुए पानी, जंगल और जमीन के अधिक उपयोग को इसका कारण बताया है।    शोध पत्रिका 'नेचर' में प्रकाशित इस रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने कहा है कि धरती अब उस दिशा में बढ़ रही है जब कई प्रजातियां समाप्त हो जाएंगी और अमूलचूल...

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इस शख्स की कहानी है इंटरेस्टिंग, पढ़कर आप कहेंगे 'गजब' यार!- लक्ष्मीकांत सिंह

गोपालगंज। ब्रेन ट्यूमर के कारण आंखों की रोशनी चली गई, पर सकलदीप के इरादे टस से मस नहीं हुए। ट्यूमर से जूझते हुए नेत्रहीन सकलदीप गांवों में घर-घर शिक्षा का उजियारा फैला रहे हैं। वे चाहते हैं कि हर घर का चिराग रौशन हो। इसके लिए वह नेत्रहीनता को मात देते हुए भी बच्चों को पढ़ा रहे हैं। उनका मानना है कि ज्ञान दान से बड़ा कुछ भी नहीं। उनकी पाठशाला बगीचे...

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