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कोरोना के प्रकोप से बचने के लिए 'वर्क फ्रॉम होम' जैसे उपाय भारतीय श्रमिकों के लिए नहीं हैं मददगार

साल 2020 से पर्दा उठते ही इसके शुरुआती जनवरी महीने में चीन जैसी महाशक्ति को COVID-19 के व्यापक प्रकोप से झूझते हुए पाया, जोकि कुछ दिनों के भीतर ही वैश्विक स्तर पर फैल गया. COVID-19 की तीव्र प्रसार क्षमता के अध्ययन के बाद, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बाकी की आबादी के बीच तेजी से इसके प्रसार को रोकने के लिए कुछ तरीके सुझाए हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इंटरनेट कनेक्टिविटी के युग...

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यूपी: राशन के लिए चार-पांच दिन चक्‍कर लगा रहे लोग, ई-पॉश मशीन हो रही फेल

''अरे राशन का मत पूछो, बहुत परेशानी है! जब से अंगूठा लगाकर राशन मिलने लगा है, हमें राशन के लिए कई चक्‍कर लगाने पड़ते हैं। कई बार तो राशन लेने के चक्‍कर में भूखे तक रहना होता है। अब दिन में मजदूरी पर भी नहीं गए और न ही राशन मिल पाया, तो चूल्‍हा कैसे जलेगा?'' यह सवाल करते हुए 35 साल की अनीता की आंखों में बेबसी साफ नजर...

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बुंदेलखंड: खाली होते गाँव, बचे तो बस घरों में ताले और बुजुर्ग

"यहां रोज़गार नहीं, एक दिन खेत की रखवाली न करो अन्ना जानवर पूरी फसल बर्बाद कर देते हैं, किसान क्या करे, बाहर कुछ तो काम मिल जाता है। यहां रहकर क्या करेंगे, "अपने घर के सामने खड़े शेखर सिंह अपने खाली होते गाँव के बारे में बताते हैं। उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के कबरई विकास खंड के एज हजार से ज्यादा आबादी वाले दमौरा गाँव में 40 प्रतिशत से...

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देश में नया श्रम कानून लागू, मगर मजदूरों के हाथ खाली

"नये श्रम कानून में सरकार अगर देश में मजदूरों की 178 रुपए कम से कम मजदूरी तय कर रही है, तो सीमेंट की बोरी ढोने वाले हम जैसे मजदूरों को दिन भर काम के बाद 250 रुपए मजदूरी मिलती है, अब आप बताइये इतनी महंगाई में 250 रुपए दिहाड़ी पर घर चलता है क्या?, तो 178 रुपए पर क्या कहेंगे," यह कहना है मजदूर दल्ला मीना का, जो राजस्थान के...

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NRC को पूंजीवादी दृष्टि से भी देखा जाना चाहिए

एनआरसी को अभी तक सिर्फ़ कम्युनल और संवैधानिक दृष्टि से ही देखा गया है। एनआरसी पूंजीवादी के कितना काम आ सकता है, किस तरह काम आ सकता है इस पर भी एक नज़र डाल लेना चाहिए। क्योकि पूंजीवादी जब फासीवाद को अपना हथियार बना लेता है तो दमन और क्रूरता के सारे पुराने मापदंड टूट जाते हैं।इसे समझना हो तोलोकल इंटेलिंजेंस यूनिट के हवाले से लिखी गई अमर उजाला की...

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