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महामारी के दौर में बहुआयामी गरीबी के चक्र में फंसे लोग, 3 से 10 साल तक पिछड़ सकते हैं विकासशील देश!

बहुआयामी गरीबी मौद्रिक यानी पैसे आधारित गरीबी नहीं है बल्कि यह गैर-मौद्रिक आधारित गरीबी है, जो सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने की चुनौतियों से दृढ़ता से जुड़ी है. हालाँकि पहले गरीबी को केवल मौद्रिक यानी धन आधारित गरीबी के संदर्भ में ही परिभाषित किया गया था, लेकिन अब गरीबी को लोगों के अनुभवों की जीवंत वास्तविकता और उनके द्वारा भोगे जाने वाले अनेकों अभावों से जोड़कर देखा जाता...

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वायनाड के आदिवासी छात्रों ने शिक्षा में संस्थागत भेदभाव के खिलाफ उठाई आवाज

-कारवां, केरल का आदिवासी समुदाय हमेशा से ही माध्यमिक और उच्च शिक्षा के मामले में बड़े नुकसान में रहा है और कोविड-19 महामारी के समय में आदिवासी छात्रों के सामने आने वाली मुश्किलें बढ़ गई हैं. केरल में स्कूलों और कॉलेजों ने डिजिटल क्लास लेनी शुरू की है लेकिन अक्सर आदिवासी और दलित छात्रों के लिए इस रूप में पढ़ाई कर सकना लगभग असंभव है. समाज के हाशिए पर रहने वाले...

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जीएसटी पर मोदी सरकार का यू-टर्न, राज्यों से टकराव क्या हो गया ख़त्म?

-बीबीसी, भारत में कोरोना लॉकडाउन के दौरान गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी जीएसटी से राज्यों को मिलने वाले राजस्व में भारी कमी आई थी. पिछले कई महीनों से इसकी भरपाई के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच तकरार चल रही है. विवाद का विषय ये था कि राजस्व में आई कमी की भरपाई के लिए क़र्ज़ कौन लेगा? केंद्र सरकार या फिर राज्य सरकार? 13 अक्तूबर को केंद्र सरकार ने कहा कि...

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सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों को असंवैधानिक बताने वाली याचिकाओं पर मोदी सरकार से मांगा जवाब

-द प्रिंट, हाल में बनाए गए तीन विवादित कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर उसकी प्रतिक्रिया मांगी है. प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र से चार हफ्तों के अंदर नोटिस पर जवाब मांगा है. तीन कानून- कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार अधिनियम -2020, कृषक उत्पाद व्यापार...

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खदानों में काम करने वाले श्रमिकों की व्यावसायिक सुरक्षा और उनके स्वास्थ्य की बात

इस साल (31 अगस्त तक) देश के विभिन्न कोयला खदानों में लगभग 24 जानलेवा दुर्घटनाएँ और 47 गंभीर दुर्घटनाएँ हुई हैं. इसी तरह, 18 जानलेवा दुर्घटनाएँ और 13 गंभीर दुर्घटनाएँ गैर-कोयला खदानों में इस समय अवधि में हुई हैं. कोविड-19 के चलते आई आर्थिक मंदी के कारण इन खदानों में कम मांग और उत्पादन की आपूर्ति-श्रृंखला में व्यवधान के कारण पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष दुर्घटना के आंकड़े...

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