संवाद सूत्र, पुरोला: बीते चार वर्षो में रवांई घाटी में बाढ़ व भूस्खलन ने खेती की जमीन को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। फल और नकदी फसल उत्पादकों की 12 सौ नाली कृषि भूमि को कुदरत का कहर लील गया। इससे प्रभावित काश्तकार अब बची हुई जमीन पर ही खेती करने को मजबूर हैं। क्षेत्र में हर साल बरसात के दौरान करीब बारह छोटी बड़ी नदियां विकराल रूप ले लेती हैं।...
More »SEARCH RESULT
क्यों सुलगता है बोडोलैंड- संजय हजारिका
असम के बोडो क्षेत्रीय परिषद इलाके में हाल ही हुई हत्याओं और भय के माहौल की खबरें अखबारों के मुखपृष्ठ और टेलीविजन की हेडलाइंस से उसी तेजी से गायब हुईं, जिस तीव्रता से उन्होंने देश का ध्यान खींचा था। चुनावी गहमागहमी में ऐसा होना अस्वाभाविक नहीं है। मगर लोग इससे परेशान थे कि मीडिया में इस घटना पर त्वरित टिप्पणियों की तो कमी नहीं थी, पर जिन जवाबों की उन्हें संजीदगी से...
More »किसानों के पैसों से गैरों को लाभ- देविंदर शर्मा
वित्तीय वर्ष 2012-13 में पांच लाख 75 हजार करोड़ रु पये कृषि कर्ज उपलब्ध कराया गया था. उसके साल भर पहले यह राशि चार लाख 75 हजार करोड़ रु पये थी. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक 2000 से 2010 के बीच कृषि कर्ज में 755 प्रतिशत की वृद्धि हुई. वर्ष 2013-14 के बजट में वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने घोषणा की थी कि कृषि कर्ज के लिए बजट आवंटन सात...
More »कहानी कुछ जैविक ग्रामों की- अमृतांज इंदीवर
अंधाधुंध पेस्टीसाइड्स व फर्टिलाइजर के उपयोग से मिट्टी, पानी व हवा ऊसर होते जा रही है। जहां किसान पहले खेतों में नाइट्रोजन की मात्रा 3-5 किलो प्रति कट्ठा के हिसाब से देते थे, वहीं आज 10-20 किलो प्रति कट्ठा के हिसाब से दिया जा रहा है। इसकी वजह से धरती पर ग्रीन हाउस बन रहा है और ग्लोबल वार्मिंग के खतरे बढ़ रहे हैं। यह परिस्थितिकीय चक्र को प्रभावित कर रहा है। परिणामस्वरूप खेत बंजर हो रहे हैं,...
More »बदलते वातावरण के बीच खेती-बाड़ी की चुनौतियां- नई रिपोर्ट
देश की कृषि को दुनिया की कुल कृषि-भूमि का महज 2.4 फीसदी और कुल जल-संसाधन का सिर्फ 4.0 प्रतिशत हासिल है। तो, क्या इस सीमित संसाधन के बूते भारतीय कृषि दुनिया की 17.5 फीसदी आबादी(भारतीय) का पेट भरने की चुनौती सफलतापूर्वक निभा सकेगी ? हाल के सालों में इस चुनौती ने और भी ज्यादा गंभीर रुप धारण किया है क्योंकि वैश्विक तापन(ग्लोबल वार्मिंग) और उससे जुड़े पर्यावरणगत बदलावों के कारण देश...
More »