करीब साल भर पहले तहलका ने तस्करी के शिकार उन बच्चों की व्यथा उजागर की थी जिनसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खेतों में बंधुआ मजदूरी करवाई जाती है. हाल में ऐसे दो बच्चों की बरामदगी ने न सिर्फ फिर हमारी पड़ताल की पुष्टि की है बल्कि यह भी ध्यान दिलाया है कि तस्करी के इस व्यवस्थित नेटवर्क के खिलाफ व्यापक कार्रवाई होनी चाहिए. प्रियंका दुबे की रिपोर्ट. पिछले 11 महीने से गन्ने...
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गन्ना किसानों का कसूर- हरवीर सिंह
उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के लिए एक बार फिर 1996-97 पेराई सीजन का माहौल बन रहा है। वह पहला साल था, जब राज्य की निजी चीनी मिलों ने गन्ना किसानों को राज्य सरकार द्वारा तय किया जाने वाला राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) देने से मना कर दिया था। चालू पेराई सीजन में भी चीनी मिलों ने साफ कर दिया है कि वे किसानों को 240 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक...
More »गन्ने मूल्य में मामूली वृद्धि की सिफारिश
नई दिल्ली। चुनावी साल होने के बावजूद गन्ना किसानों को केंद्र सरकार की ओर से तोहफा मिलने की उम्मीद कम ही है। कृषि लागत एवं मूल्य आयोग [सीएसीपी] ने अगले चीनी वर्ष 2014-15 [अक्टूबर-सितंबर] के लिए गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य [एफआरपी] में दस रुपये की मामूली बढ़ोतरी की सिफारिश की है। सीएसीपी ने अगले सीजन के लिए इसका मूल्य बढ़ाकर 220 रुपये प्रति क्विंटल करने का सुझाव दिया...
More »छत्तीसगढ़ में हरियाणा- प्रियंका कौशल
छत्तीसगढ़ में हजारों एकड़ जमीन खरीदने वाले हरियाणा के किसान आधुनिक तकनीक से खेती के जरिए एक नई मिसाल कायम कर चुके हैं. लेकिन स्थानीय किसान और सरकार इस बदलाव में कुछ खतरनाक संकेत देख रहे हैं. प्रियंका कौशल की रिपोर्ट. सैकड़ों एकड़ में फैले फार्म हाउस और हुक्का पीते किसान. बस खेतों में काम करते आदिवासी न दिखें तो छत्तीसगढ़ के कई क्षेत्रों को देखकर एकबारगी यही लगता है कि...
More »कहां खो गई गन्ने की मिठास- वी एम सिंह
सभ्य समाज पर मुजफ्फरनगर दंगा एक धब्बा है, जिसमें करीब 44 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। यह राजनीतिक पार्टियों का वोट बैंक एजेंडा तो हो सकता है, परंतु इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों के आपसी भाईचारे को गहरा धक्का लगा है। इस दंगे की लपट में आने से हजारों किसानों को गांवों से पलायन करना पड़ा है। कवाल गांव की घटना तो एक नमूना भर है। प्रदेश...
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