मुंबई। मानसून में देरी के कारण राज्य में जलसंकट की आशंका गहराती जा रही है। मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने राज्य के सभी जिलाधिकारी, महानगर पालिका आयुक्त और नगर परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को पानी किल्लत के संबंध में आपात तैयारी रखने के निर्देश दिए हैं। ग्रामीण भागों के अलावा प्रदेश के चार शहर भी जलसंकट की चपेट में आने के कगार पर हैं। यदि और एक सह्रश्वताह बारिश नहीं हुई तो जालना,...
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शहर अंदर ‘समंदर’- शिरीष खरे की रिपोर्ट(तहलका, हिन्दी)
यह राजस्थान में जोधपुर शहर के यूएस बूट हाउस का एक जादुई बेसमेंट है. जादुई इसलिए कि यह शहर शुष्क रेगिस्तान के मुहाने पर बसा है लेकिन इस बेसमेंट में बारहमासी पानी रिसता रहता है. हालांकि इसकी नींव में कई सालों से पानी रिसता रहा है, लेकिन बीते दो साल से पानी इस स्तर तक बढ़ गया कि पांच पंपों से 24 घंटे पानी उलीचने पर भी यह कम होने का...
More »जल स्रोतों के अस्तित्व पर संकट
देहरादून। अनियोजित विकास राज्य में जल स्रोतों के लिए संकट बनकर खड़ा हो गया है। आलम यह है कि उत्तराखंड के 53 हजार 566 वर्ग किलोमीटर के भौगोलिक क्षेत्र में जलीय भूमि केवल 1.94 प्रतिशत ही शेष रही है। उत्तराखंड स्पेस एप्लिकेशन सेंटर (यू-सैक) ने सेटेलाइट के जरिए यह तस्वीर दिखाई है। ‘नेशनल वेटलैंड इनवेंटरी एंड एसेसमेंट’ प्रोजेक्ट के तहत राज्य में कुल 994 प्राकृतिक जल स्रोत चिन्हित किए गए,...
More »बोतल में बंद पानी- राम प्रताप गुप्ता
इस व्यवसाय में उतरी कंपनियों का सरोकार लाभ तक ही सीमित पिछले दशकों में हमारे देश में जल दोहन की जो व्यवस्था अपनाई गई, उसके परिणामस्वरूप देश के अधिकांश भागों में भूजल भंडार अतिदोहन के शिकार से अपनी क्षमता खो रहे हैं। पानी की भारी मात्रा उलीचे जाने तथा बदले में उनमें नगरों-कसबों और उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषित और गंदा पानीमिलाए जाने से नदियों का पानी भी पीने के...
More »नदियों के सूबे में पेयजल का संकट- महिपाल कुंवर(तहलका)
उत्तर भारत की अधिकांश बारहमासी नदियों का उद्गम स्थल होने के बावजूद उत्तराखंड में गर्मी का मौसम शुरू होते ही पेयजल संकट पैदा हो गया है. इससे ग्रामीण के साथ-साथ शहरी इलाकों के लोग भी जूझ रहे हैं. देहरादून से महिपाल कुंवर की रिपोर्ट पिछले साल पर्याप्त बारिश और बर्फबारी के बावजूद भी उत्तराखंड की कई बस्तियां बढ़ती गर्मी में पानी के लिए तरस रही हैं. उत्तराखंड उत्तर भारत की अधिकांश...
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