नयी दिल्लीः खाद्य वस्तुओं विशेष तौर पर सब्जी, अंडा, मांस-मछली, दाल जैसे उत्पादों की कीमत बढ़ने के कारण मुद्रास्फ़ीति फ़रवरी महीने में बढ़कर 6.95 फ़ीसद हो गई. थोकमूल्य सूचकांक डब्ल्यूपीआई के आधार पर आकलित मुद्रास्फ़ीति जनवरी में 6.55 फ़ीसद थी. पिछले वर्ष फ़रवरी महीने में मुद्रास्फ़ीति 9.54 प्रतिशत थी. यहां आज जारी ओधकारिक आंकडे के मुताबिक फ़रवरी में दालों की कीमत 7.91 फ़ीसद चढी जबकि सब्जियों की कीमत 1.52 फ़ीसद बढ़ी. हालांकि...
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पेश होगी महंगाई की असली सूरत
नई दिल्ली [जाब्यू]। असलियत में आम आदमी पर महंगाई का कितना बोझ पड़ता है, इसका पता अब ज्यादा आसानी से चल सकेगा। केंद्र सरकार इस हफ्ते पहली बार देशव्यापी नया उपभोक्ता मूल्य सूचकांक [सीपीआई] जारी करेगी। नया सूचकांक महंगाई की ज्यादा वास्तविक स्थिति बताएगा। माना जा रहा है कि आगे चलकर मौजूदा थोक मूल्य सूचकांक [डब्ल्यूपीआई] के स्थान पर सरकार इस नए सीपीआई को ही लागू करेगी। ब्याज दरों का निर्धारण...
More »जनवरी में मुद्रास्फीति दर रही 7.6 फीसदी
नई दिल्ली। सरकार ने मंगलवार को पहली बार देशव्यापी खुदरा मूल्य सूचकांकों के आधार पर मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी किए। इसके मुताबिक मुद्रास्फीति जनवरी 2012 में 7.65 प्रतिशत रही। गौरतलब है कि जनवरी में जहा खाद्य एवं पेय पदार्थो की औसत कीमत पिछले वर्ष जनवरी की तुलना में 4.11 प्रतिशत बढ़ी वहीं ईंधन और बिजली एवं कपड़ा तथा जूता-चप्पल संबंधित क्षेत्र में मुद्रास्फीति दोहरे अंक में रही। कुल...
More »मुद्रास्फीति अभी स्वीकार्य स्तर पर नहीं, और गिरावट होनी चाहिए: प्रणव
नई दिल्ली, 14 फरवरी (एजेंसी) मुद्रास्फीति के जनवरी में 25 महीने के निम्नतम स्तर 6.55 फीसद पर पहुंचने के बीच वित्त मंत्री प्रणव मुखर्र्र्जी ने कहा कि महंगाई दर अभी स्वीकार्य स्तर पर नहीं पहुंची है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इसमें और कमी होगी। मुखर्जी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुझे लगता है कि इसमें :मुद्रास्फीति में: और कमी होनी चाहिए क्योंकि यह अभी भी स्वीकार्य स्तर पर नहीं पहुंची...
More »सदिच्छा का सत्यानाश- इर्शादुल हक
सैकड़ों करोड़ रु की जिस रकम से बिहार के स्कूलों की तस्वीर बदल सकती थी उसका ज्यादातर हिस्सा भ्रष्टाचारियों की जेब में चला गया. इर्शादुल हक की पड़ताल सत्ता के शीर्ष से चले अच्छे इरादों का जमीन तक पहुंचते-पहुंचते किस तरह बंटाधार हो जाता है, इसका उदाहरण है यह घोटाला. इससे यह भी साफ होता है कि योजनाएं कितनी भी अच्छी बन जाएं, जब तक उन्हें अमली जामा पहनाने वाले तंत्र...
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