दुनिया में अमीरों और गरीबों के बीच बढ़ती खाई को लेकर बेहद चौंकाने वाले आंकड़े आए हैं। कल से शुरू हुए अमीर देशों के सम्मेलन से ऐन पहले जारी किए गए इन आंकड़ों को सही मानें तो आज महज 62 धनकुबेरों के पास दुनिया की आधी आबादी के बराबर धन इकठ्ठा हो गया है। ऑक्सफेम के इस सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि जल्द ही वह स्थिति निर्मित...
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खुदरा व्यापारियों के बदलने का वक्त-- राजीव रंजन झा
देशभर के गल्लों पर बैठे सेठ जी आजकल ऑनलाइन आक्रमण से परेशान हैं. ऑनलाइन रिटेलरों ने त्योहारी मौसम को लूट लिया है. खरीदारी की उस धूम को हथिया लिया है, जो हर साल खुदरा दुकानों पर उमड़ा करती थी. इसीलिए खुदरा व्यापारियों के संगठन ने इनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा है और इनके विरुद्ध नीतिगत व कानूनी विरोध से लेकर खुद उनके ही मंच पर, यानी ऑनलाइन बाजार में अपनी...
More »बोले राजन, महंगाई को काबू में रखने के लक्ष्य पर की ब्याज दरो में कटौती
अल्पकालिक नीतिगत दरों में आधी फीसदी की अप्रत्याशित कटौती कर सभी को आश्चर्यचकित करने वाले रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि दीर्घकाल तक महंगाई को काबू में रखने के लक्ष्य के साथ ही अर्थव्यवस्था के लिए जो सबसे बेहतर हो सकता था किया गया है। राजन ने एक साक्षात्कार में कहा कि अर्थव्यवस्था के लिए जो सकारात्मक हो सकता था हमने किया है। हम अभी ऐसी परिस्थितियों...
More »बच्चों की सेहत : कुछ और आगे बढ़े हम-- ज्यां द्रेज
हाल ही में जारी रैपिड सर्वे ऑन चिल्ड्रेन (आरएसओसी) के निष्कर्षों में मुख्यधारा की मीडिया ने कोई खास दिलचस्पी नहीं ली. यह दुखद है, क्योंकि सर्वेक्षण के निष्कर्षों में सीखने के लिए काफी कुछ हैं. तीसरा नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे (एनएफएचएस) करीब दस साल पहले 2005-06 में संपन्न हुआ था. चौथे एनएफएचएस के पूरा होने में लगी भारी देरी से भारत के सामाजिक आंकड़े बहुत पुराने हो गये हैं. सौभाग्य...
More »सूखे का साया
आखिरकार भारतीय मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही निकली। उसने इस साल मानसून के कमजोर रहने का अंदेशा जताया था। तब वित्तमंत्री ने कहा था कि घबराने की बात नहीं है, हो सकता है मानसून संबंधी पूर्वानुमान गलत निकले। दरअसल, वित्तमंत्री को बाजार की चिंता सता रही थी और वे निवेशकों को आश्वस्त करना चाहते थे कि सब कुछ ठीकठाक रहेगा। पर अब मौसम संबंधी पूर्वानुमान पहले से कहीं अधिक वैज्ञानिक...
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