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न्यायिक नियुक्ति आयोग की गुत्थी-- पी चिदंबरम

कल्पना करें कि हम एक ऐसे राष्ट्र के नागरिक हैं, जिसने अभी-अभी आजादी हासिल की है और जिसे नया संविधान बनाना है। फिर, कल्पना करें कि हम न्यायपालिका से संबंधित अध्याय लिख रहे हैं। तब मुख्य सवाल ये उठेंगे। (1) हम न्यायपालिका की स्वतंत्रता कैसे सुनिश्चित करेंगे? (2) जज होने की पात्रता क्या होगी? (3) जजों के चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया क्या होगी? (4) न्यायालय के अधिकार क्या होंगे,...

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एनजेएसी पर पीठ के तर्क त्रुटिपूर्ण: जेटली

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को फेसबुक पोस्ट के जरिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर तीखे सवाल उठाए। उन्होंने पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के तर्कों को त्रुटिपूर्ण करार दिया। फेसबुक पर 'दि एनजेएसी जजमेंट-ऐन ऑल्टरनेटिव व्यू' शीर्षक से दिए गए इस पोस्ट को उन्होंने अपना निजी विचार बताया। वित्त मंत्री ने लिखा कि भारतीय लोकतंत्र में ऐसे लोगों की निरंकुशता नहीं चल सकती...

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वकालत के अपराधीकरण पर लगाम-- विराग गुप्ता

न्यायिक व्यवस्था के पतन एवं सड़ांध पर कड़ी टिप्पणी करते हुए सर्वोच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने माननीय न्यायाधीशों से बुर्का पहनकर बाहर घूमने का आग्रह किया, जिससे उन्हें बेंच (अदालतों) की नाकामी की हकीक़त पता चल सके, लेकिन इस सड़ांध की जिम्मेदारी सिर्फ जजों पर ही क्यों? कुछ दिन पूर्व दिल्ली के तत्कालीन कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर को लॉ की फर्जी डिग्री के आरोप में...

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जिल्लत की जिंदगी जी रहीं महिलाएं इंसाफ के इंतजार में

गौतम चौबे, रायपुर। छत्तीसगढ़ में टोनही प्रताड़ना से पीड़ित महिलाएं 15 साल से न्याय का इंतजार कर रही हैं। सालों बीत जाने के बाद भी उनके माथे से कलंक नहीं मिट पाया है और वे जिल्लत की जिंदगी जी रही हैं। अदालत की धीमी रफ्तार के कारण अभी तक उन्हें इंसाफ नहीं मिल पाया है और वे वयोवृद्ध हो चुकी हैं। पीड़िता श्याम बाई साहू 70 साल की हो चुकी...

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हिंदी सम्मेलन में खो गया बहुभाषीय भारत - डॉ अनिल सद्गोपाल

विश्व हिंदी सम्मेलन सरकारी जश्न था। सरकारी जश्नों की तरह यह जश्न भी कुछ मिथकों पर टिका हुआ था। इसका सबसे बड़ा मिथक था कि हिंदी का विकास बहुभाषीय भारत की तमाम समृद्ध भाषाओं को हाशिए पर धकेलकर करना संभव है। कहीं दूर से भी यह संदेश नहीं निकला कि जिस अंग्रेजी साम्राज्यवाद के खिलाफ हिंदी संघर्ष कर रही है, उसी के खिलाफ बाकी भारतीय भाषाएं भी जूझ रही हैं...

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