जब अंगरेज भारत छोड़ कर गये, उन्होंने वे सभी प्रयास प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से किये, जिससे उपमहाद्वीप में सदा के लिए दरारें पड़ी रहें. अंगरेजों की दिली तमन्ना थी कि भारत टुकड़े-टुकड़े हो जायेगा, क्योंकि इसे एक करनेवाला कोई है ही नहीं. लेकिन, उनके मंसूबों पर भारत के नेताओं ने पानी फेर दिया. सरदार पटेल ने पूरे देश को एक सूत्र में बांध दिया, पंडित नेहरू ने एक लोकतांत्रिक...
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आम बजट आम लोगों के लिए-- बिभाष
बजट बसंती जाड़े से खिसक कर चिल्ला ठंडे के मौसम में आ गया है. कड़कड़ाती ठंड में बजट की तैयारियां चल रही ही हैं कि इसी बीच दो रिपोर्ट चर्चा में आ गयीं. एक रिपोर्ट है वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा जारी इन्क्लुसिव डेवलपमेंट इंडेक्स-2017 और दूसरी रिपोर्ट है ऑक्सफैम रिपोर्ट. दोनों ही रिपोर्ट पूंजीवादी संस्थाओं द्वारा जारी की गयी हैं. इन रिपोर्टों को पढ़ने से साफ झलकता है कि...
More »आचार संहिता की प्रासंगिकता -- अनुपम त्रिवेदी
4 जनवरी को 5 राज्यों में चुनाव की अधिसूचना के साथ ही चुनाव आचार संहिता लागू हो गयी है. नियमानुसार राजनीतिक दलों, प्रत्याशियों और सरकारी महकमें से इस दौरान आदर्श आचार यानी ‘मॉडल कंडक्ट' की अपेक्षा की जाती है और नहीं मानने पर सजा का प्रावधान है. भारत में आचार संहिता के प्रयोग का आरंभ केरल में हुआ, जब वहां 1960 के विधानसभा चुनावों में चुनाव परिचालन के लिए राजनीतिक...
More »दोहरे प्रयासों से तेज होगा विकास - डॉ जयंतीलाल भंडारी
बीते सोमवार को जीएसटी कौंसिल की बैठक के बाद आगामी एक जुलाई से इस एकीकृत परोक्ष कर प्रणाली को लागू करने की बात कही गई है। चूंकि नोटबंदी के बाद सरकार देश की अर्थव्यवस्था को कैशलेस बनाने की ओर अग्रसर है, ऐसे में एक जुलाई से जीएसटी की शुरुआत मददगार होगी। साथ ही जीएसटी की तिथि व दरें सुनिश्चित हो जाने के कारण आगामी बजट में अप्रत्यक्ष कर का अनुमान...
More »गलती बैंकरों की नहीं, सिस्टम की है-- आर सुकुमार
भारतीय बैंकर इन दिनों खुश नहीं हैं। खासतौर पर वे, जो इस उद्योग में दबदबा रखने वाले राष्ट्रीयकृत बैंकों में काम करते हैं। बीते आठ नवंबर के बाद से, जब से प्रधानमंत्री ने पुराने बड़े नोटों को चलन से बाहर करके उसकी जगह नए नोट लाने की घोषणा की है, बैंकरों पर काम का बोझ बढ़ गया है। कभी-कभी तो उन्होंने सप्ताहांत में भी काम किया। उनका पाला न सिर्फ...
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