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आपदा में अवसर : महामारी के दौर में देश में 45 जगह जबरन बेदखली

-डाउन टू अर्थ,  कोरोनाकाल की आपदा को अवसर मानते हुए राज्यों ने 20 हजार से अधिक लोगों को उनके घर से जबरन विस्थापित कर दिया। विस्थापित लोगों का यह आंकड़ा 16 मार्च से 31 जुलाई तक का है। हाउसिंग एंड लैंड राइट्स नेटवर्क (एचएलआरएन) की रिपोर्ट “फोर्स इविक्शन इन इंडिया इन 2019 : एन अनरिलेटिंग नेशनल क्राइसिस” के अनुसार, देशभर में महामारी के दौरान जबरन बेदखली के कम से कम 45...

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बिहार: 81 लाख से अधिक बाढ़ पीड़ितों के लिए मात्र 6 राहत शिविरों की व्यवस्था की गई है

-न्यूजक्लिक, यह सुनकर कोई भी हैरत में पड़ सकता है लेकिन सच्चाई यही है कि बिहार में 80 लाख से अधिक बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए मात्र छह राहत शिविर ही काम कर रहे हैं। वाम दलों के साथ-साथ अन्य विपक्षी पार्टियों और कार्यकर्ताओं ने राज्य भर में 16 बाढ़-प्रभावित जिलों में बाढ़ पीड़ितों को राहत मुहैय्या कराने को लेकर राज्य सरकार की गंभीरता पर सवाल खड़े किये हैं। राज्य आपदा प्रबन्धन विभाग...

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देश भर में, 11,537 अनियमित कामगारों के साथ की गई सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी की गई, “कोविड-19 के दौर में कामगार.“

-ऐक्शन एड,  अनियमित कामगारों के राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार, “लॉकडाउन से अब तक 75% से ज़्यादा कामगार अपना रोज़गार गँवा चुके हैं.” देश भर में, 11,500 अनियमित कामगारों के साथ किए गए एक सर्वे के अनुसार, “लॉकडाउन के दौरान खाद्य उपभोग प्रभावित हुई है.  सर्वेक्षित 11,537 में से तीन-चौथाई से भी अधिक लोगों ने बताया कि लॉकडाउन घोषित होने के बाद उनका रोज़गार चला गया. इनमे से क़रीब आधे लोगों ने कहा कि उनकी इस दौरान कोई आय नहीं हुई, 17% लोगों का कहना था कि उन्हें आंशिक वेतन ही प्राप्त हुआ. तक़रीबन 53% लोगों का कहना था कि लॉकडाउन के दौरान उनके क़र्ज़ में इज़ाफ़ा हुआ. क़रीब...

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भारत बीते 50 सालों की सबसे भयावह मानवीय त्रासदी के दौर में प्रवेश कर चुका है

-द वायर, भारत का गरीब और मजदूर वर्ग अब अख़बार के भीतरी पन्नों और टीवी स्क्रीन से गायब हो गया है. ऐसा दिखाने की कोशिश हो रही है कि जब देश में सारी व्यवस्थाएं धीरे-धीरे खुलने लगी हैं और अधिकतर प्रवासी मजदूर अपने गांव लौट गए हैं, तब भूख और रोजी-रोटी की समस्या खत्म हो गई है. जबकि सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है. सच तो सिर्फ इतना है कि अचानक से थोपे गए...

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जल शक्ति मंत्रालय की हर घर जल योजना में पानी के साथ आर्सेनिक भी घर-घर पहुंचेगा

-द प्रिंट, बिल्ली होती है ना, बिल्ली.  वह क्या करती है, दूध पीते समय अपनी आंखें बंद कर लेती है और सोचती है कि कोई उसे देख नहीं रहा. यही हाल पानी से जुड़ी सभी ऐजेंसियों को जोड़कर बनाए गए जलशक्ति मंत्रालय का भी है. गंगा पथ पर पानी की गुणवत्ता जांचे बिना वह हर घर नल जल पहुंचाने में जुटा है. डिटेल में जाने से पहले सौरभ सिंह की छोटी सी...

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