-गांव कनेक्शन, - उत्तर प्रदेश में अब 40 राजकीय औद्योगिक संस्थान (आईटीआई) निजीकरण की भेंट चढ़ गए हैं। यह निजीकरण दो चरणों में होगा। पहले चरण में 16 और दूसरे में 24 आईटीआई निजीकरण के हवाले किए जाएंगे। उत्तर प्रदेश में निजी आईटीआई संस्थानों की संख्या सरकारी संस्थानों से 10 गुना अधिक है। इस फैसले के बाद यह संख्या और भी अधिक हो जाएगी। इसी के साथ नए सत्र 2020 -21...
More »SEARCH RESULT
“सरकार को डब्ल्यूएचओ की चिंता है, जबकि उसकी वजह से हमारे घर गिरे”
-न्यूजलॉन्ड्री, “झुग्गी-झोपड़ी वालों को इंसान ही ना समझ रहे, बताओ हम कहां जांएगे...अब कहां है मोदी और केजरीवाल, जो झुग्गीवालों को पक्के मकान देने के वादे कर रहे थे. ये सब डब्ल्यूएचओ का करा-धरा है, और कोई भी इसके खिलाफ बोल ना रहा. हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. जब तक हमारी तरफ काम नहीं शुरू होगा इनका काम भी हम नहीं होने देंगे.” ये आरोप बुधवार को आईटीओ के पास अन्ना नगर...
More »कोरोना और लॉकडाउन से पैसों की तंगी थी, दिव्यांग मां-बाप अपनी बच्ची बेचने चल दिए!
-लल्लनटॉप, कोरोना वायरस ने लोगों के फेफड़ों के साथ पेट पर भी हमला किया है. रोज़मर्रा के कामकाज पर असर पड़ने से रोज़ी-रोटी की दिक्कतें हैं. इसी बीच आंध्र प्रदेश से एक मामला सामने आया है. यहां के अनंतपुरम ज़िले में दिव्यांग पति-पत्नी ने अपनी 8 महीने की बच्ची को बेचने की कोशिश की. ‘द हिंदू’ की रिपोर्ट के मुताबिक, ये रोड्डम मंडल के बुचेरल्ला गांव का वाकया है. बच्ची को बेचने...
More »तीन साल से तीन महीने की मजदूरी के लिए भटक रहे हरियाणा के 145 मनरेगा मजदूरों को इंसाफ कौन दिलाएगा?
-गांव कनेक्शन, "सरपंच के कहने पर तीन महीने तक मनरेगा के तहत दिहाड़ी की, लेकिन एक भी फूटी कौड़ी नहीं मिली। मिली तो सरपंच से मारने-पिटने की धमकी और गालियां। मजदूरों को तो इंसान समझते ही नहीं। अपनी मजूरी मांगते हैं तो डराकर भगा देते हैं। हमारे पैसे जो सरकार ने भेजे थे उन्हें खुद ही जीम (डकारना) गए। गरीब आदमी को तो दिहाड़ी के नाम पर बस गालियां ही मिली"...
More »एक नागरिक के तौर पर प्रवासी
-न्यूजक्लिक, हम अपने देश के इतिहास में सबसे डरावनी घटना के गवाह बने हैं। इस डरावनी घटना को एक राज्य से दूसरे राज्यों में अपने घरों में वापस लौटते मज़दूरों के दृश्य बयां कर रहे हैं। अनुमान है कि लॉकडाउन के चलते 2,71,000 फैक्ट्रियों और साढ़े छ: से सात करोड़ लघु और सूक्ष्म धंधे रुक गए, जिसके चलते करीब़ 11 करोड़ चालीस लाख नौकरियां चली गईं। इसमें 9 करोड़ 10 लाख...
More »