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इतने कम निवेश से क्या फायदा- नारायण कृष्णमूर्ति

अधिकतर वेतनभोगी लोगों को सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक संबल देने के लिहाज से महत्वपूर्ण कर्मचारी भविष्य निधि में बदलाव हो रहा है, और यह पैसा अब शेयर बाजार में लगाया जा रहा है। यह पहले के प्रारूप से बिल्कुल अलग है, जिसके तहत पैसा केवल नियत वापसी के साधन के रूप में रखा जाता था। साल दर साल ब्याज दर घटने के साथ-साथ ईपीएफओ राशि के रिटर्न (लाभ) में भी...

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रोजगार सृजन की नीति- डा भरत झुनझुनवाला

वित्त मंत्रालय द्वारा प्रकाशित इकोनॉमिक सर्वे के अनुसार, वर्ष 2009 से 2012 में प्रति वर्ष संगठित क्षेत्र में मात्र 5 लाख रोजगार का सृजन हुआ है. हमारे श्रम बाजार में प्रति वर्ष एक करोड़ युवा प्रवेश कर रहे हैं, पुराना बैकलॉग कम से कम 6 करोड़ का है.  क्या कारण है कि हम केवल 5 लाख रोजगार प्रति वर्ष सृजित कर रहे हैं? कारण है कि कंपनियों द्वारा मशीनों का...

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श्रम और दक्षता का संतुलन-- मणीन्द्र नाथ ठाकुर

यह नई खोजों का समय है। भविष्य में वही समाज या देश आगे बढ़ेगा, जो नई वैज्ञानिक और सामाजिक खोजों में आगे रहेगा। दुनिया में इस समय तीन देश प्रतिस्पर्धा में हैं: चीन, भारत और अमेरिका। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने हाल में ‘ब्रेन प्रोजेक्ट' की शुरुआत करते हुए जिक्र किया कि इंटरनेट के बाद अगली क्रांति मनुष्य के दिमाग की तकनीकी को समझने की होगी और अमेरिका को ये...

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अब मनरेगा श्रमिकों के खातों में सीधे जाएगी मजदूरी

केंद्रीय कैबिनेट ने मनरेगा के तहत काम में लगे श्रमिकों को मजदूरी सीधे उनके खातों में जारी करने को मंजूरी प्रदान कर दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने मनरेगा के बेहतर क्रि यान्वयन और राज्यों के बेहतर सशक्तिकरण के लिए इस योजना को मंजूरी दी. योजना के तहत मनरेगा की मजदूरी राज्य रोजगार गारंटी कोष विंडो का इस्तेमाल करते हुए सीधे मजदूरों के खातों में जारी की जाएगी....

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कहां है सुधारों की अगली खेप-- रामचंद्र गुहा

सन 2009 के आम चुनाव के ठीक बाद मैंने बेंगलुरु में एक भाषण सुना, जो नई सरकार के लिए नीतियों के नए रोडमैप पर था। वक्ता थे राकेश मोहन, जो उद्योग व वित्त मंत्रालय में वरिष्ठ पदों पर रह चुके थे और उस वक्त रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर थे। राकेश मोहन का कहना था कि आर्थिक सुधारों की पहली लहर ने व्यापार को सरकारी नियंत्रण से बाहर निकाला और...

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