भारत एक नदी मातृक देश है। यहां की तमाम बड़ी-छोटी नदियों ने ही अपने तटों पर यहां हजारों बरसों से नाना सभ्यताओं और परंपराओं को उपजाया व सींचा है। बचपन से ही हर बच्चा सप्त-महानदियों का गुणगान सुनता है, जब-जब कोई जन किसी भी देवप्रतिमा का पवित्र जल से अभिषेक करे। 'गंगेयमुनेश्चैवगोदावरिसिंधुकावेरी जलेऽअस्मिन्सन्न्धिं कुरु के परिचित मंत्र में हर पात्र के जल में सात बड़ी नदियों - गंगा, यमुना, गोदावरी,...
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बाढ़ जनित समस्या का प्रबंधन-- डा. गोपाल कृष्ण
आम तौर पर सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाएं बाढ़ जनित समस्या से चकित होने का स्वांग करती हैं. हिमालय के गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी घाटी जैसे क्षेत्रों में सदियों से नदी के भूमि बनाने के अपने नैसर्गिक कार्य के लिए बाढ़ का जन्म होता रहा है. मौजूदा बाढ़ में खबरों के अनुसार अभी तक बिहार में 18 जिलों में 200 से अधिक लोग मौत के शिकार हुए हैं. पश्चिम...
More »बाढ़ प्रबंधन : नदी प्रबंधन के सिवाय कोई चारा नहीं-- ज्ञानेन्द्र रावत
बाढ़ एक ऐसी आपदा है, जिसमें हर साल सिर्फ करोड़ों रुपयों का नुकसान ही नहीं होता, बल्कि हजारों-लाखों घर-बार तबाह हो जाते हैं, लहलहाती खेती बर्बाद हो जाती है और अनगिनत मवेशियों के साथ इंसानी जिंदगियां पल भर में अनचाहे मौत के मुंह में चली जाती हैं. अक्सर माॅनसून के आते ही नदियां उफान पर आने लगती हैं और देश के अधिकांश भू-भाग में तबाही मचाने लगती हैं. जब-जब बाढ़...
More »नदियों पर तटबंध बनाना कहीं से भी उचित नहीं-- अनिल प्रकाश
बाढ़ नियंत्रण का कॉन्सेप्ट ही गलत है. इसकी जगह बाढ़ प्रबंधन का काम होना चाहिए. नदियों को अविरल बहने देना चाहिए और जहां अवरोध हो, उसे हटाना चाहिए. यह बेसिक कॉन्सेप्ट अपनाया जाना चाहिए. नदियों पर तटबंध बनाना कहीं से भी उचित नहीं है. यह सुरक्षा का भ्रम पैदा करते हैं. एक बात और जो मैं कहना चाहता हूं, वह यह कि हम लोग जिस इलाके में रहते हैं. वहां...
More »हिमालय नीति की जरूरत--- वीरेंद्र कुमार पैन्यूल
एक हिमालय नीति की जरूरत दशकों से महसूस की जा रही है। पूरे विश्व ने व संयुक्त राष्ट्र ने भी आधिकारिक रूप से यह माना है कि पहाड़ों के विकास की अलग रणनीति और तौर-तरीके होने चाहिए। पूर्व में अंतरराष्ट्रीय पर्वतीय वर्ष भी मनाया गया था। अमेरिका में तो पर्वतीय विकास पर काम करने के लिए अलग से एक अंतरराष्ट्रीय संस्थान है। इसी क्रम में हिमालय के लिए एक अलग...
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