नई दिल्ली [डॉ. ऋतु सारस्वत]। भारत अपनी स्वतंत्रता के छह दशक बिता चुका है और इन वर्षो में भारत में बहुत कुछ बदला है। विश्व के सबसे मजबूत गणतंत्र में सभी को अपनी इच्छा से जीने, सोचने और अपने विचारों को अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता मिली है, जिसका हम उपभोग भी कर रहे हैं। हालाकि एक वर्ग ऐसा भी है जो आज भी इस सुखानुभूति से वंचित है और वह...
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भूमि सुधार कानून बनाने के पक्ष में हुई चेतावनी सभा
नई दिल्ली.भूमि सुधार कानून बनाने के लिए सरकार द्वारा उचित कदम न उठाने के विरोध में गांधीवादी संगठन एकता परिषद ने रविवार को रामलीला मैदान में एक चेतावनी सभा का आयोजन किया। सभा में बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, केरल, तामिलनाडु सहित विभिन्न राज्यों के दस हजार से भी ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर पुलिस द्वारा संसद कूच की अनुमति न दिए जाने के खिलाफ अपने 12 साथियों के...
More »किसानों की जमीन रखने की कोशिश पर विस में हंगामा, वाकआउट
भोपाल. प्रदेश के 55 लाख किसानों की कृषि भूमि और अपेक्स बैंक की 17 अरब रुपए की सपंत्ति गिरवी रखकर विदेशी एजेंसी से बिना ब्याज का कर्ज लेने के प्रस्ताव पर सोमवार को विधानसभा में भारी हंगामा हुआ। नाबार्ड और महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक से खारिज हो चुके इस प्रस्ताव को देशद्रोह बताते हुए विपक्ष ने विधायकों की समिति से जांच की मांग की। अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी ने कहा कि सरकार ने जांच...
More »आम बजट 2011-12: खास-खास बातें
नई दिल्ली। देश की अर्थव्यवस्था के वैश्विक आर्थिक संकट से पूर्व की स्थिति में पहुंचने का जिक्र करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को लोकसभा में वित्त वर्ष 2011-12 के लिए आम बजट पेश करते हुए भाषण की शुरुआत की। अपने शुरुआती भाषण में मुखर्जी ने कहा, 'हम उच्च विकास और चुनौतियों से भरपूर एक महत्वपूर्ण वर्ष के अंत में है। वर्ष 2010-11 में विकास दर अच्छी रही। अर्थव्यवस्था...
More »गंदा है, पर धंधा है- विमलेश मिश्र
विमलेश मिश्र, जमशेदपुर : ये दूसरों की गंदगी साफ करते, मगर खुद नारकीय जीवन जी रहे हैं। गंदगी साफ करते-करते चर्म, टीबी व कुष्ठ जैसे असाध्य रोग इन्हें घेर लेते हैं। अनुसूचित जाति के हैं, मगर सुविधा कुछ को ही। पहले सफाई के लिए सरकार या कंपनी से नौकरी मिल जाती थी, अब ठेकेदार से मिलने वाली मजदूरी पर जीवन टिका है। संसद ने कानून बना सिर पर मैला ढोने...
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