SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 1220

शिक्षा राष्ट्रीय मुद्दा, मानव संसाधन पर हो जोरः सिब्बल

एचटी लीडरशिप समिट को संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री कपिल सिब्बल ने जोर देकर कहा कि शिक्षा एक राष्ट्रीय मुद्दा है और इसकी बेहतरी के लिए सभी पार्टियों को मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में नौकरियों की भरमार है, लेकिन मानव संसाधन का समुचित विकास न होने के कारण भारतीय इसे पाने में असमर्थ हैं। सिब्बल ने कहा कि इसलिए हमारा जोर ऐसी शिक्षा नीति पर होना चाहिए...

More »

11 महीनों में 141 अमेरिकी बैंक धराशायी

जीं हां दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका के लिए यह किसी झटके से कम नहीं है। अब जबकि पूरी दुनिया आर्थिक मंदी से लगभग उबर चुकी है वही अमेरिका में बैंकों के दिवालिया होने का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। बैंकों की ये संख्या बीते साल दिवालिया होने वाले बैंकों की संख्या से भी ज्यादा है। साल 2009 में अमेरिका में 140 बैंक दिवालिया हुए थे। बीती...

More »

मानव विकास रिपोर्ट में भारत 119वें स्थान पर

मजबूत आर्थिक वृद्धि के बावजूद शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में खराब सामाजिक बुनियादी ढांचा में कारण भारत मानव विकास सूचकांक के मामले में 119वें पायदान पर है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के मानव विकास रिपोर्ट 2010 में 169 देशों और क्षेत्रों को शामिल किया गया है। इस सूची में भारत चीन (89वें) और श्रीलंका (91वें) से भी पीछे है। आय सूचकांक में भारत की स्थिति में 10 पायदान का सुधार हुआ...

More »

सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखकर बने नई खनन नीति- राजेन्द्र अभ्यंकर

वेदांत, पोस्को और सिंधुदुर्ग। इन तीनों मामलों में मुद्दा एक ही है-खनन और संसाधन आधारित उद्योग के लिए एक सुविचारित नीति की आवश्यकता। पिछले दिनों सरकार ने उड़ीसा के पिछड़े कालाहांडी जिले में नियमगिरि पहाडिय़ों पर वेदांत को दी गई खनन की अनुमति वापस लेने का फैसला किया। उधर, उड़ीसा में पोस्को लौह अयस्क परियोजना पर गुप्ता समिति ने एक तरह से विभाजित फैसला दिया। इसके अलावा पश्चिमी घाट क्षेत्र...

More »

रोटी की बहस और बहस की जमीन- चंदन श्रीवास्तव

सलाह मिल गयी है. खाद्य-सुरक्षा विधेयक का मसौदा अपनी परिणति तक आ पहुंचा है. लोग जान गये हैं कि यूपीए सरकार ना सही सबको तो भी कम-से-कम 80 फ़ीसदी लोगों को सस्ता अनाज देने जा रही है. लोग खुश हैं या नहीं, कहा नहीं जा सकता. भोजपुरी में एक कहावत है-ये सूरदास घीव कड़कड़ाईल बा और सूरदास का जवाब कि थरिया में पड़ो तब नू. खाद्य-सुरक्षा के मामले में जनता-जनार्दन...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close