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अर्थव्यवस्था पर 'भारी' मोटापा

रोम। मोटापा और कुपोषण दुनिया की अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ रहे हैं। इसके लिए जंक फूड सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने यह चेतावनी जारी की है। एफएओ ने कहा है कि मोटापे से होने वाली जटिल बीमारियों पर हर साल लगभग 1.4 लाख करोड़ डॉलर खर्च हो रहे हैं। सरकारें स्वास्थ्य पर निवेश करके बड़े आर्थिक और सामाजिक नतीजे हासिल कर सकती हैं।...

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अमेरिका में जीएम गेहूं के खुलासे से एशिया में हड़कंप

गंभीर मसला - अमेरिका के ओरेगोन में उगाई जा रही है प्रतिबंधित जीएम किस्म खाद्यान्न पर संकट अमेरिका है दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं सप्लायर एशियाई देश खरीदते हैं वैश्विक व्यापार का तिहाई गेहूं कई वर्षों पूर्व मोनसेंटो की विकसित किस्म को मंजूरी नहीं फिर भी ओरेगोन में इस जीएम किस्म की खेती हो रही यूएसडीए इस गेहूं की सप्लाई होने से किया इंकार विस्फोटक खुलासे के बाद जापान ने आयात रोका, फिलीपींस, चीन व दक्षिण...

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भूख की भाषा और शास्त्र - सुधीश पचौरी

जनसत्ता 30 मई, 2013: हमारे समकालीन सोच-विचार की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि ‘गरीब' के बारे में सिर्फ ‘अमीर' (इस प्रसंग में ‘एलीट') विचार करते हैं। गरीब अपनी गरीबी के बारे में विचार करता नहीं पाया जाता। अपने बारे में इस कदर ‘विचार विहीन' होने के बारे में भी गरीब कभी नहीं बोलता। यह बात भी अमीर ही बताते हैं कि गरीब अपनी गरीबी के बारे में इस कारण विचार...

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अरूणा राय ने सोनिया गांधी के एनएसी में नहीं रहने का किया फैसला

नयी दिल्ली । सामाजिक कार्यकर्ता अरूणा राय ने सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद में एक और कार्यकाल नहीं लेने का फैसला किया है। उनका कार्यकाल शुक्रवार को समाप्त हो रहा है । अरूणा ने एनएसी अध्यक्ष सोनिया को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि उन्हें एनएसी में एक और कार्यकाल देने पर विचार नहीं किया जाना चाहिए। सोनिया ने उनके आग्रह को मान लिया है । अरूणा राय ने...

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अर्थशास्त्र की ऊंची मीनार से कुपोषण मिटाने की यह कवायद....

भारतीयों को विवाद-प्रिय माना जाता है और हमारी यह विवादप्रियता एक बार फिर से उठान पर है ! गरीबी-रेखा और गरीबों की तादाद के बारे में लंबे समय तक वाक्युद्ध में उलझे रहने के बाद, प्रसिद्ध अनिवासी भारतीय(एनआरआई) अर्थशास्त्रियों ने एक बार फिर से विवाद छेड़ा है कि भारत में कुपोषण का विस्तार कितना है। पहले योजना आयोग ने गरीबों की संख्या को कागजी तौर पर घटाने की कोशिश की...

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