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अब कौन कहेगा सूट-बूट की सरकार? - लॉर्ड मेघनाद देसाई

वर्तमान राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों में वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा प्रस्तुत किया गया बजट बहुत ही संतुलित और सधा हुआ है। बजट में ग्रामीण भारत की चिंताओं और समस्याओं को विशेष तौर पर ध्यान में रखा गया है। ऐसा पहली बार है जब किसी वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कृषि क्षेत्र और किसानों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया और एक तय सीमा अवधि में किसानों की आय...

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2030 तक होगा मलेरिया का अंत!

वर्षों से जारी प्रयासों और व्यापक खर्चों के बावजूद मलेरिया की वैश्विक चुनौती कायम है. इससे निबटने के लिए भारत समेत कई देशों में वैक्सीन का विकास करने समेत कई वैज्ञानिक उपाय तलाशे जा रहे हैं. वैश्विक स्तर पर हाल में इस दिशा में तीन आरंभिक उपलब्धियां हासिल हुई हैं. देश-दुनिया में मलेरिया की मौजूदा स्थिति, इससे निपटने के प्रयासों में हासिल हालिया उपलब्धियों सहित इससे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों के...

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आर्थिक समीक्षा 2015-16 की प्रमुख बातें

संसद में शुक्रवार को पेश वित्त वर्ष 2015-16 की आर्थिक समीक्षा की मुख्य बातें इस प्रकार हैं। - जीडीपी की वृद्धि 2016-17 में 7-7.5 प्रतिशत रहेगी। - चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रहेगी, यदि निर्यात में तेज बढ़ोतरी हो तो दीर्घकाल में संभावित वृद्धि की क्षमता 8-10 प्रतिशत तक। - वैश्विक स्तर पर निराशा के वातावरण में भारत स्थिरता की भूमि। - कच्चे तेल का भाव अगले वित्त वर्ष में 35...

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एमनेस्टी ने की भारत में बढ़ती असहिष्णुता की निंदा

लंदन। एमनेस्टी इंटरनेशन ने भारत में असहिष्णुता बढ़ने की निंदा की है। अपनी रिपोर्ट में इसने कहा है कि भारतीय अधिकारी धार्मिक हिंसा की घटनाओं पर रोक लगाने में विफल हैं। तनाव पैदा करने वाले भड़काऊ भाषण की निंदा करते हुए एमनेस्टी ने कहा है कि बढ़ती असहिष्णुता का शिकार पत्रकार, लेखक, कलाकार और मनवाधिकार कार्यकर्ता होते हैं। इस मानवाधिकार संगठन ने 2015-16 के लिए अपनी सालाना रिपोर्ट में आजादी पर...

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खुली बहस के परे कोई भी विषय नहीं - मृणाल पांडे

ऋग्वेद (8, 2, 24) में मनुष्य देवताओं से पूछते हैं कि सत्य का साक्षात करने वाले ऋषि तो रहे नहीं, आने वाले समय में उनकी जगह कौन लेगा? देवताओं का जवाब है, आने वाले काल में समान स्तर के अनेक ज्ञानी जब बैठकर अपने-अपने ऊह (तर्क) और अपोह (प्रतितर्क) से हर विषय पर बहस को आगे बढ़ाएंगे तो उनके समवेत तर्क-वितर्क ही अंतिम सच का निर्णय करेंगे। एक अग्रगामी लोकतंत्र...

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