मुंबई। महिलाओं के बारों में रात 9:30 बजे के बाद काम करने पर पाबंदी संबंधी एक कानून के औचित्य पर सवाल उठाते हुए बंबई हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि यह कैसा कानून है? क्या हम नाजी जर्मनी में रह रहे हैं? बंबई दुकान एवं प्रतिष्ठान कानून 1948 को महिला संगठनों और होटल एवं रेस्तरां ऐसोसिएशन [आईएचएआर] ने चुनौती देते हुए इसे भेदभावपूर्ण बताया था। याचिका में कहा गया था कि पांच तारा होटलों...
More »SEARCH RESULT
रैनबसेरों की व्यवस्था पर राज्यों को मोहलत
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बेघर लोगों को रैनबसेरा मुहैया कराने के प्रावधान पर जवाब देने के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को दो हफ्तों का समय और दिया है और ऐसा नहीं करने पर अधिकारियों को अदालत के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी और न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन की पीठ ने कुछ राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा पीठ के 10 फरवरी के निर्देश के बावजूद इस मुद्दे पर जवाब नहीं...
More »सरकारी कागजों में स्लम का अकाल
अगर कोई पूछे कि मुंबई महानगर में झोपड़ बस्तियों को हटाने की दिशा में जो काम हो रहा है, उसका क्या असर पड़ा है तो इस सवाल का एक जवाब ये भी हो सकता है- आने वाले दिनों में झोपड़ बस्तियों की संख्या बढ़ सकती है. मुंबई महानगर का कानून है कि जो बस्ती लोगों के रहने लायक नहीं है, उसे स्लम घोषित किया जाए और वहां बस्ती सुधार की योजनाओं...
More »पत्थरों की खदानों से लौटा बचपन || बिदिसा फौजदार/शिरीष खरे ||
कभी बाल मजदूरी करने वाला महेन्द्र अब बच्चों के अधिकारों से जुड़ी कई लड़ाईयों का नायक है। महेन्द्र के कामों से जाहिर होता है कि छोटी सी उम्र में मिला एक छोटा सा मौका भी किसी बच्चे की जिंदगी को किस हद तक बदल सकता है। महेन्द्र रजक, इलाहाबाद जिले के गीन्ज गांव से है- जहां की भंयकर गरीबी अक्सर ऐसे बच्चों को पत्थरों की खदानों की तरफ धकेलती है। महेन्द्र...
More »हिमाचल गरीब, लोग अमीर
शिमला [रचना गुप्ता]। छोटा सा पहाड़ी प्रदेश हिमाचल गरीब हो रहा है। हालाकि प्राकृतिक संपदा से लबरेज राज्य की आमदनी वर्ष दर वर्ष घट रही है, लेकिन यह भी हकीकत है कि यहा के लोग मालामाल हो रहे हैं। राज्य की कंगाली के पीछे का कारण है लोगों का कृषि से मोह भंग होना और लोगों की अमीरी यानी प्रति व्यक्ति आय बढ़ने की वजह है नौकरियों व उद्योगों में दिलचस्पी लेना। आजीविका में...
More »