सच्चिदानंद सिंहा भारत के उन चुनिंदा विचारकों में हैं, जो अपने समय से लगातार मुठभेड़ करते रहते हैं. 81 साल की उम्र में भी लगातार सक्रिय सच्चिदानंद सिंहा मानते हैं कि भारत में आने वाले दिनों में अगर किसी नये समाज का निर्माण करना है तो समाजवादी विचारकों को गांधी की कुछ बातों को स्वीकारना ही होगा. उनसे कुछ सामयिक मुद्दों पर की गई बातचीत यहां प्रकाशित की जा रही...
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नर्मदा का नाद -- मेधा पाटकर
विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक नर्मदा घाटी आज भी समृद्ध प्रकृति के लिए मशहूर है. घाटी में नदी किनारे पीढ़ियों से बसे हुए आदिवासी तथा किसान, मजदूर, मछुआरे, कुम्हार और कारीगर समाज प्राकृतिक संसाधनों के साथ मेहनत पर जीते आए हैं. इन्हीं पर सरदार सरोवर के साथ 30 बड़े बांधों के जरिये हो रहे आक्रमण के खिलाफ शुरू हुआ जन संगठन नर्मदा बचाओ आंदोलन के रूप में पिछले 25...
More »एक लाख भ्रूणों की कोख में ही हत्या!
प्रदेश में जन्म से पहले ही गर्भपात की घटनाओं पर विराम लगता नहीं दिख रहा है। अकेले वर्ष 2009 में ही करीब एक लाख 10 हजार भ्रूण को प्रदेश की सरजमीं पर कदम रखने से पहले ही मार गिरा दिया गया। इतने अधिक गर्भपात की वजह 'पुत्र की चाह' मानी जा रही है। यह खुलासा स्वास्थ्य विभाग के पास पहुंची रिपोर्ट में होता है। स्वास्थ्य विभाग को मिली रिपोर्ट के अनुसार...
More »ये भला कैसा वेदांत?- सुनीता नारायण
कच्चे माल की मांग का बढ़कर सिर चकरा देने वाले 1.6 करोड़ टन प्रति वर्ष पर पहुंच जाने को लेकर पड़ने वाले पर्यावरण के प्रभावों का अभी तक आकलन ही नहीं किया गया है। इतना सारा बाक्साइट कहां से आएगा? इसके लिए कितनी नई खदानों की जरूरत होगी? कितना अतिरिक्त जंगल काटा जाएगा? कितना पानी निगल लिया जाएगा, कितना साफ पानी भयानक गंदा हो जाएगा?पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा उड़ीसा...
More »मजदूर के लिए खून
मनरेगा व बिहार में नीतीश सरकार के आ जाने के बाद जिस तरीके से मेहनत मजदूरी करने आए लोगों की घर वापसी हो रही है, उससे पंजाब में आई मजदूरों की कमी के चलते, अब मजदूरों के लिए हत्या तक होने लगी है। कुछ ऐसा ही मामला जिला गुरदासपुर के सीमावर्ती गांव पड्डा में सामने आया, जहां एक मजदूर पर अपना-अपना मालिकाना हक जताने के लिए हुई जंग में...
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