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सरकारी बेरुखी से बदहाल किसान--- संजीव पांडेय

इस साल आलू की अच्छी फसल के बावजूद किसान बहुत परेशान हैं। उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब तक के किसान दस पैसे प्रति किलो आलू बेचने के लिए मजबूर हैं। हाल ही में पंजाब में किसानों ने जानवरों को ही आलू खिलाना शुरू कर दिया था। उधर उत्तर प्रदेश में सरकार ने इस बार आलू का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया था। इसके बावजूद आगरा और मथुरा के इलाके में...

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ढाई साल में ढाई गुणा बढ़ गया सरकारी बैंकों का एनपीए, ये कंपनियां हैं बड़ी कर्जदार

नयी दिल्ली : सरकार नए साल में बैंकिंग सुधारों के सिलसिले को जारी रख सकती है. इसके अलावा सरकार का इरादा एनपीए (गैर निष्पादित आस्तियों) के बोझ से दबे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी निवेश करने का भी है, जिससे ऋण की मांग को बढाया जा सके. फिलहाल ऋण की वृद्धि दर 25 साल के निचले स्तर पर चली गयी है. सरकार ने इस साल अक्तूबर में बैंकों में 2.11...

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फाइलेरिया को हरा सकते हैं हम-- डॉ भूपेंद्र त्रिपाठी

फाइलेरिया अभियान के बिहार दौरे पर वैशाली जिले में मेरी मुलाकात एक ऐसे परिवार से हुई, जिन्हें अभियान के दौरान दवाइयां दी गयी थी, परंतु उन लोगों ने दवाएं खायी नहीं थी. हमारी चर्चा के बीच यह मालूम पड़ा कि उसी घर की कॉलेज जानेवाली एक छात्रा खुद फाइलेरिया से पीड़ित थी और वह परिवार अपनी बच्ची के इलाज पर लगभग 1200 रुपये हर सप्ताह खर्च कर वैकल्पिक दवाएं ले...

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50,000 मदरसा टीचरों पर सरकार की बेरुखी! दो साल से नहीं दिया पैसा

केंद्रीय योजना के तहत पंजीकृत मदरसों में नियुक्‍त 50,000 शिक्षकों को वेतन नहीं मिल रहा है। इसके कारण कई शिक्षकों को नौकरी छोड़नी पड़ रही है। नरेंद्र मोदी की सरकार पिछले दो वर्षों से इसके लिए आवंटित फंड जारी नहीं कर रही है। इससे देश के 16 राज्‍यों के मदरसा प्रभावित हुए हैं। इनमें उत्‍तर प्रदेश, उत्‍तराखंड, मध्‍य प्रदेश और झारखंड जैसे भाजपा शासित राज्‍य भी शामिल हैं। इन राज्‍यों...

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ताकि बची रहें नदियां-- पत्रलेखा चटर्जी

दुनिया के सबसे प्रसिद्ध पर्यावरणविदों में से एक और दिल्ली स्थित विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (सीएसई) की महानिदेशक सुनीता नारायण जीवंत किंवदंतियों में से एक हैं। हाल ही में सुनीता नारायण से मेरी मुलाकात हुई, हालांकि मैं उन्हें बीती सदी के नब्बे के दशक से ही जानती हूं। सुनीता नारायण की नई किताब कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट हाल ही में प्रकाशित हुई हैं, जिसमें भारत के हरित आंदोलन के माध्यम से...

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