भारतीय अर्थव्यवस्था की समस्या क्या है? क्या हुआ, जो विकास दर मुंह के बल गिरी? अगर आप इस विषय पर कुछ पढ़ें, तो आप इनमें से किसी एक नतीजे पर पहुंचेंगे- हमारी संसद आर्थिक सुधारों के लिए जरूरी कानून बनाने में नाकाम रही, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह प्रशासन संभालने में नाकाम रहे, उच्च स्तर की नौकरशाही फाइलों को आगे बढ़ाने में अड़ियल रवैया अपनाती रही, भ्रष्टाचार, चालू खाते का घाटा, जो...
More »SEARCH RESULT
सरकारी आंकड़ों का सबके लिए उपलब्ध होना - मुकुल श्रीवास्तव
इंटरनेट पर सूचनाएं और आंकड़े खोजना कभी मुश्किल नहीं रहा, पर भारत से संबंधित आंकड़े खोजना कभी आसान भी नहीं रहा। ऐसे स्रोत बहुत ज्यादा नहीं हैं, जहां देश के सारे आंकड़े मिल जाएं और वे विश्वसनीय भी हों। आंकड़ों तक जनता की सर्वसुलभता को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय आंकड़ा भागिता और अभिगम्यता नीति 2012 का निर्माण किया गया है। अब इसी नीति के तहत, वेबसाइट का निर्माण किया गया है,...
More »मरती भाषाओं के दौर में- शेखर पाठक
जनसत्ता 13 सितंबर, 2013 : कभी रघुवीर सहाय ने कहा था, ‘न सही कविता मेरे हाथ की छटपटाहट सही’। यही बात भाषा के बारे में कही जा सकती है। सिर्फ मनुष्य अपनी छटपटाहट को भाषा यानी शब्द दे सका है। यह कहानी सत्तर हजार साल पहले शुरू होती है, हालांकि लिपियों का संसार करीब पांच हजार साल पहले बनना शुरू हुआ। आज भाषा मानव अस्तित्व की अनिवार्यता और पहचान हो...
More »चिंता ओजोन परत की
आज ‘ओजोन परत संरक्षण दिवस’ है. धरती के चारों ओर फैली ओजोन परत की सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने के मकसद से यह दिवस हर साल 16 सितंबर को दुनियाभर में मनाया जाता है. इस मौके पर जानते हैं कि क्या है ओजोन परत और इसे बचाना क्यों है जरूरी.. ।।नॉलेज डेस्क।। तकनीकी विकास के साथ इनसान ने खुद के लिए ही एक कब्र खोदना शुरू कर दिया. शुक्र है...
More »फूड बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी
नयी दिल्ली:देश की 67 %आबादी को सब्सिडी प्राप्त खाद्यान्न का कानूनी अधिकार दिलाने का लक्ष्य रखनेवाले महत्वपूर्ण खाद्य सुरक्षा बिल को गुरुवार को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गयी. खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने कहा, कानून को जल्द ही सरकारी राजपत्र में अधिसूचित किया जायेगा. कानून प्रति व्यक्ति प्रत्येक माह पांच किलो चावल, गेहूं, मोटा अनाज क्रमश: तीन, दो और एक रुपये की दर से देने की गारंटी करता है. केंद्र ने योजना को...
More »