आज से साढ़े पांच साल पहले ग्राम न्यायालय एक्ट 2008 अमल में आया था. इसको लेकर देश के सत्ता-वर्ग ने उम्मीदों की हवा कुछ ऐसी बांधी थी, मानो अब गांवों में रामराज्य आने ही वाला है. कहा गया था कि अब देश में हर किसी को न्याय मिल सकेगा, क्योंकि यह एक्ट बनाया ही गया है निर्धन और ग्रामीण जनता को उसके दरवाजे पर पहुंच कर इंसाफ देने के लिए....
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थम क्यों जाते हैं बेटियों के कदम- ऋतु सारस्वत
हाल ही में केंद्र सरकार ने दिल्ली समेत सभी केंद्र शासित प्रदेशों में पुलिस बहाली में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी दी है। निश्चय ही, यह कदम देश की आधी आबादी के ‘सशक्तीकरण' में महती भूमिका निभाएगा। गौरतलब है कि भारतीय पुलिस सेवा में महिलाओं की संख्या पिछले वर्ष ही एक लाख को पार कर गई थी। हालांकि सच यह भी है कि कुल पुलिस बल में...
More »उदारीकरण में पिसती ग्रामीण अर्थव्यवस्था- सुषमा वर्मा
विश्व बैंक की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीना लेगार्ड ने हाल ही में रहस्योद्घाटन किया है कि भारत के अरबपतियों की दौलत पिछले 15 बरस में बढ़कर 12 गुना हो गई है। गौरतलब है कि यह वही दौर है जब भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत हुए चंद साल ही हुए थे। उदारीकरण के दो दशक बाद शहरी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बीच का फासला लगातार बढ़ता ही नहीं जा रहा बल्कि...
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विश्व बैंक की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीना लेगार्ड ने हाल ही में रहस्योद्घाटन किया है कि भारत के अरबपतियों की दौलत पिछले 15 बरस में बढ़कर 12 गुना हो गई है। गौरतलब है कि यह वही दौर है जब भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत हुए चंद साल ही हुए थे। उदारीकरण के दो दशक बाद शहरी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बीच का फासला लगातार बढ़ता ही नहीं जा रहा बल्कि...
More »अधर में महिला आरक्षण- संजीव चंदन
अचानक कोई निर्णय नहीं लिया गया तो इस बार शीत-सत्र में भी भाजपा सरकार महिला आरक्षण विधेयक संसद मे पेश नहीं करने जा रही। राज्यसभा में 2010 में ही इसे पास कर लोकसभा के लिए भेज दिया गया था। तब राज्यसभा में विधेयक के पारित होने को इसकी ताकत माना गया था कि अब यह विधेयक जीवित रहेगा। संवैधानिक नियमों के अनुसार राज्यसभा में अगर पेश किए जाने के बाद...
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