नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और एक कुशल प्रशासक की उनकी छवि के बल पर भाजपा ने पिछले वर्ष आम चुनाव में अप्रत्याशित रूप से अकेले बहुमत हासिल किया था। अब जब मोदी सरकार अपने कार्यकाल का एक वर्ष पूरा करने वाली है, तब उसके कामकाज को कसौटी पर परखा जाना स्वाभाविक है। मोदी सरकार के बारे में एक बात बिना किसी संदेह के कही जा सकती है कि उसने निराशा...
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गांवों की ओर भी देखें हुक्मरान- देविन्दर शर्मा
किसी गांव की एक महिला बकरी खरीदना चाहती है। वह आर्थिक तौर पर अपने पैरों पर खड़े होना चाहती है। यह जानते हुए कि उसे मदद मिल सकती है, वह इस काम के लिए लघु वित्तीय संस्थान (एमएफआई) में संपर्क करती है। उसे लगभग 7,000 रुपए की जरूरत है। एक स्वयं सहायता समूह के जरिए काम कर रही एमएफआई उसे 24 प्रतिशत की दर पर ब्याज के हिसाब से यह...
More »खतरनाक है पब्लिक ट्रायल का विचार
‘तो यह समझ में आने लगा कि सीधे जनता को कानूनन यह ताकत देनी होगी कि यदि राशनवाला चोरी करे, तो शिकायत करने के बजाय सीधे जनता उसे दंडित कर सके. सीधे-सीधे जनता को व्यवस्था पर नियंत्रण देना होगा, जिसमें जनता निर्णय ले और नेता व अफसर उन निर्णयों का पालन करें.' साल 2012 में अरविंद केजरीवाल ने अपनी किताब के पेज नंबर 30 पर यह सवाल उठाया है. वे पूछ...
More »भूकंप के बाद की चुनौतियां - शशांक
नेपाल की आपदा बहुत बड़ी प्राकृतिक त्रासदी है। हालांकि संवेदनशील क्षेत्र होने के कारण नेपाल ही नहीं, भारत भी भूकंप से निपटने की तैयारियां काफी समय पहले से कर रहा है। नेपाल के साथ तो हमारे प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलते रहे हैं। मगर विगत शनिवार को जितने बड़े क्षेत्र में यह जलजला आया, उसने वहां की सरकार और जनता, दोनों को पूरी तरह हिलाकर रख दिया है। वैसे अच्छी बात...
More »आरक्षण और सामाजिक न्याय में बढ़ती दूरी- जितिन प्रसाद
पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के 16 ब्लॉक डेवलेपमेंट अधिकारियों (बीडीओ) में से 12 आरक्षित वर्ग (एससी और ओबीसी) से आते हैं। गौरतलब है कि इनमें से पांच एक ही जाति से हैं, और केवल चार सामान्य वर्ग से हैं। इसी तरह, यहां के 18 थानेदारों (एसएचओ) में से नौ सामान्य वर्ग और नौ आरक्षित वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। मगर हैरत की बात है कि आरक्षित वर्ग के...
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