कार्बन कॉपी, 27 फरवरी सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में सरकार द्वारा वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) में किए गए संशोधनों पर रोक लगाते हुए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वह उसके 1996 में दिए गए आदेश में वर्णित ‘वन’ की परिभाषा का पालन करें। यह पर्यावरण कार्यकर्ताओं और वन में रहने वाले समुदायों के लिए एक बड़ी जीत है। वन संरक्षण अधिनियम, 1980 में पिछले साल किए गए संशोधनों...
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मशीनों से की जा रही अंधाधुंध खेती से संकट में पड़े स्टेपी और लिटिल बस्टर्ड पक्षी
डाउन टू अर्थ, 24 जनवरी मानवजनित कारणों से लुप्तप्राय स्टेपी-लैंड पक्षी और लिटिल बस्टर्ड को बचाने के लिए वैज्ञानिक, किसान और संरक्षणकर्ताओं के बीच सहयोग महत्वपूर्ण है। प्राकृतिक आवासों में कमी, सिंचाई में वृद्धि और शहरीकरण के कारण सतही क्षेत्र कम हो गए हैं, जो इस कमजोर प्रजाति के अस्तित्व के लिए अहम हैं। जर्नल बायोलॉजिकल कंजर्वेशन में प्रकाशित एक शोध से पता चलता है कि लिटिल बस्टर्ड की सबसे अधिक खतरे...
More »कॉप28 ने अपनाया हानि और क्षति फंड, लेकिन प्रस्तावित राशि काफी कम
मोंगाबे हिंदी, 3 दिसम्बर जलवायु परिवर्तन के टाले ना जा सकने वाले प्रभावों का सामना कर रहे कमजोर देशों की जरूरतों पर एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, वार्षिक संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन 30 नवंबर को असाधारण रूप से सकारात्मक तरीके से शुरू हुआ। पार्टियों के 28वें सम्मेलन (कॉप28) ने जलवायु संकट से होने वाले नुकसान और क्षति को संबोधित करने के लिए समर्पित एक फंड लॉन्च किया। यह फंड विकासशील...
More »ये 'अल–नीनो' क्या बला है?
एक अनुमान की माने तो वर्ष 2023 अल–नीनो की आगोश में आ जाएगा।अल–नीनो का संयोग भारत के लिए अशुभ माना जाता है।क्योंकि अल–नीनो के कारण कई बार बारिश की मात्रा में गिरावट आ जाती है; हिंदुस्तान के करोड़ों लोगों की उम्मीदों पर अल–नीनो तुषारापात करता है। ऐसे में यह जानना ज़रूरी है कि अल–नीनो नाम की बला है क्या? आज का लेख उसी के नाम! अल–नीनो का प्रभाव मानसून और महासागर की...
More »खबरदार
खास बात • गंगोत्री ग्लेशियर सालाना ३० मीटर की गति से सिकुड़ रहा है।* • अगर समुद्रतल की ऊंचाई एक मीटर बढ़ती है तो भारत में ७० लाख लोग विस्थापित होंगे।* • पिछले बीस सालों में ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी जिवाश्म ईंधन के दहन से हुई है।* • मानवीय क्रियाकलापों के कारण ग्लोबल ग्रीन हाऊस गैस के उत्सर्जन में लगातार बढोत्तरी हो रही है। अगर औद्योगीकरण के पहले के समय से तुलना करें तो मानवीय क्रियाकलापों...
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