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कैसे सालभर में तीन फैसलों ने एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों का विश्वास डिगा दिया

भारतीय सुप्रीम कोर्ट को एक ऐसे संस्थान के रूप में जाना जाता है जो कि ‘वीरतापूर्वक' नागरिक स्वतंत्रता की हिमायत करता है और एक उत्पीड़क सामाजिक ढांचे के विरुद्ध हाशिये पर पड़े सामाजिक वर्गों के रक्षक की भूमिका निभाता है. पिछले डेढ़ वर्षों की अवधि में इसने लोगों की निजता के अधिकार को मान्यता दी, एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों को स्वीकार किया और सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की...

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जन-बुद्धिजीवी की चीख और अपील-- रविभूषण

किसी भी समाज में जन-सार्वजनिक बुद्धिजीवी की विशेष भूमिका होती है. ऐसे बुद्धिजीवी जनता की आवाज होते हैं, उन्हें दिशा-दृष्टि देते हैं. पिछले कुछ समय से भारतीय बुद्धिजीवियों पर राज्य द्वारा अनेक आरोप मढ़े जा रहे हैं. लेखक, स्तंभकार, शिक्षाविद्, राजनीतिक विश्लेषक, नागरिक अधिकार सक्रियतावादी, प्रसिद्ध-प्रतिष्ठित, महत्वपूर्ण दलित चिंतक आनंद तेलतुंबड़े को भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी बनाया गया है और उनके नौ सह-आरोपी अभी जेल में हैं, जिनकी भारतीय बौद्धिक...

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तमिलनाडु में महात्मा की चमक-- रामचंद्र गुहा

महात्मा गांधी आधुनिक युग के ऐसे इंसान हैं, जो किसी भी अन्य भारतीय की अपेक्षा अपने होने को सार्थक करते हैं। एक ऐसे हिंदू, जिन्होंने मुसलमानों के समान अधिकारों के लिए अपना करियर तो समर्पित किया ही, जीवन भी बलिदान कर दिया। 1922 में राजद्रोह के मुकदमे की सुनवाई कर रहे अंग्रेज जज ने पेशा पूछा, तो उनका जवाब था- ‘किसान और बुनकर'। जीवन यापन के दो ऐसे तरीके, जो...

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सक्रिय अदालत के बेमिसाल फैसले-- कमलेश जैन

इस साल अदालतों की सक्रियता खूब दिखी। ऐसे कई फैसले आए, जो ऐतिहासिक साबित हुए। इन फैसलों से यह खासतौर से लगा कि न्यायालय महिलाओं को बराबरी का अधिकार दिलाने और समाज में फैली असमानता को दूर करने को लेकर काफी गंभीर है। हालांकि उसकी यह गंभीरता पहले भी कई बार दिखी है। जैसे, शीर्ष अदालत ने ही बलात्कार के मामलों में पीड़िता को दोषी मानने वाले प्रावधान खत्म...

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लैंगिक भेदभाव के खिलाफ खड़ा साल--

साल 2018 भारत की महिलाओं के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। अधिकारों के नजरिए से देखें, तो उन्होंने फिर से अपना सही मुकाम हासिल किया। यह वर्ष देश की शीर्ष अदालत द्वारा महिलाओं के पक्ष में ऐतिहासिक फैसले सुनाने का भी गवाह बना। सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को रद्द किया, महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में पूजा-अर्चना के सांविधानिक अधिकार दिए, ‘तीन तलाक' खत्म किया, एडल्टरी यानी व्यभिचार को...

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