SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 214

बराबरी का फलसफा और हम - गोपालकृष्‍ण गांधी

साम्यवाद का भविष्य। यह भी आज किसी लेख का विष्ाय हो सकता है क्या? कांग्रेस का भविष्य, नेहरू-गांधी परिवार का भविष्य, लोकतांत्रिकता का भविष्य, अल्पसांख्यिकता का भ्ाविष्य, स्वतंत्र विचार, स्वतंत्र लेखन, स्वतंत्र चिंतन का भविष्य, इन सब पर सोच वाजिब और लाजिम है। लेकिन साम्यवाद..? साम्यवाद करके जब कुछ रहा ही नहीं है, उस नाम के दोनों दलों माकपा और भाकपा के जब लोकसभा में सदस्य ही नहीं के बराबर हैं,...

More »

विचारधारा के भंवर में - एम के वेणु

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली आर्थिक सुधार के अर्थों को पुनर्परिभाषित करने की कोशिश कर रहे हैं। सीआईआई और वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की सालाना बैठक में भारतीय और वैश्विक कंपनियों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए अरुण जेटली ने सलाह दी कि भारत जटिल सामाजिक-आर्थिक संरचना वाला एक विकासशील समाज है, इसलिए उद्यमी समुदाय को 'बिग-बैंग' सुधारों और कुछ सनसनीखेज विचारों के क्रियान्वयन की उम्मीद नहीं करनी...

More »

यूपी में 44 जिले सूखाग्रस्त घोषित, केंद्र सरकार से मांगा विशेष पैकेज

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 44 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित करने का निर्णय लिया है. इन जिलों में वर्तमान मानूसन के दौरान सामान्य वर्षा के सापेक्ष मात्र 50 फीसदी से कम बारिश हुई है. सूखाग्रस्त घोषित जिलो में प्रभावित किसानों को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से यह फैसला भी लिया कि 31 मार्च 2015 तक इनके अवशेष मुख्य राजस्व देयों (भू-राजस्व एवं सिचाई) की वसूली स्थगित रहेगी. इस...

More »

‘हिंदी प्रदेश’ की पहचान के मायने- शैबाल गुप्ता

शैबाल गुप्ता जाने-माने अर्थशास्त्री और एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) के सदस्य सचिव हैं. पिछले दिनों इलाहाबाद स्थित गोविंद बल्लभ पंत सोशल साइंस इंस्टीट्यूट ने उन्हें 29वें ‘गोविंद बल्लभ पंत मेमोरियल लेक्चर' में व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया था. इस अवसर पर बोलने के लिए उन्होंने जो विषय चुना, उसका शीर्षक था- ‘आइडिया ऑफ द हिंदी हार्टलैंड'. हिंदी में इसे ‘हिंदी प्रदेश की धारणा' कहा जा सकता है. इस...

More »

सतशिवम- लोकपाल या राज्यपाल?- हरि जयसिंह

पूर्व प्रधान न्यायाधीश पी. सतशिवम को केरल का राज्यपाल बनाए जाने पर कई बुनियादी कानूनी और राजनीतिक मुद्दे उठे हैं, जिन पर अकादमिक दृष्टिकोण के साथ बहस की जानी चाहिए। लेकिन तब भी इसे एक ऐसे व्यक्ति की योग्यताओं के साथ न्याय नहीं किए जाने की तरह ही देखा जाएगा, जिसने यह पद पाने के लिए किसी तरह की 'लॉबिंग" नहीं की थी। अनेक क्षेत्रों से इस आशय के प्रश्न उठे...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close