नई दिल्ली। बैंकों की तरफ से कर्ज की दरों में कमी आने के बावजूद उद्योग अभी भी सस्ते कर्ज से महरूम हैं। कंपनियों का मानना है कि वे कर्ज की निचली दरों का फायदा उठाने की स्थिति में अभी नहीं हैं। हालांकि कर्ज की लागत को परेशानी बताने वाली कंपनियों की संख्या पिछले साल के मुकाबले इस साल घटी है। फिक्की के नवीनतम बिजनेस कॉन्फिडेंस सर्वे के नतीजों से संकेत मिलता...
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अप्रत्यक्ष कर में सुधार से लाभ-- भूपेन्द्र यादव
केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बहुप्रतीक्षित गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) को संसद से पारित कराने में ऐतिहासिक सफलता पायी है. इस सफलता की बदौलत अब अप्रत्यक्ष करों के मामले में देश में 'एक राष्ट्र एक कर' की अवधारणा को मूर्त रूप दिया जाना संभव हो सका है. अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में सुधार के लिहाज से यह सरकार द्वारा उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है. रोजगार...
More »नीति आयोग का दृष्टिपत्र-- प्रसेनजित बोस
आधिकारिक आकलनों के अनुसार, 2014-15, 2015-16 और 2016-17 में सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में भारतीय अर्थव्यवस्था की वार्षिक वृद्धि दर क्रमशः 7.2, 7.9 और 7.1 फीसदी रही है. हाल के दिनों में चीनी अर्थव्यवस्था में मंदी के मद्देनजर भारत की मौजूदा सरकार के अंतर्गत देश को 'दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई बड़ी अर्थव्यवस्था' माना गया है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की एक बैठक में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने...
More »कृषि ऋण माफी के आईने में-- वरुण गांधी
साल 1865 में अमेरिकी गृहयुद्ध के खत्म होने के बाद अमेरिका में कपास उत्पादन को फिर से बढ़ावा मिलने का नतीजा यह हुआ था कि वहां भारतीय कपास की मांग काफी कम हो गयी. इसके चलते बंबई प्रेसिडेंसी में किसानों से कपास की खरीद में कमी आयी और भुगतान-संबंधी मांग बढ़ गयी. कर्जदाता इच्छुक किसानों को कर्ज देने में हिचकने लगे या फिर वे बहुत ज्यादा ब्याज पर कर्ज देने...
More »यदि हम अपनी नदियों को नहीं बचा पाए तो हमारा बचना संभव नहीं - राजेन्द्र सिंह
मध्य प्रदेश सघन वनों और अद्भुत जल-संरचनाओं की भूमि है। प्रकृति ने यहां प्रचुर जंगल दिए हैं तो नर्मदा जैसी विशाल और अद्भुत नदी भी दी है। यह सदियों-शताब्दियों से अपने निश्छल स्वरूप में न सिर्फ बहती आई है, बल्कि मानव सभ्यता को प्राण भी देती आई है। किंतु मनुष्य ने अपने विकास की दौड़-होड में इसे बुरी तरह विकृत करना शुरू कर दिया है। आज यह नदी उन तमाम...
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