Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | यदि हम अपनी नदियों को नहीं बचा पाए तो हमारा बचना संभव नहीं - राजेन्द्र सिंह

यदि हम अपनी नदियों को नहीं बचा पाए तो हमारा बचना संभव नहीं - राजेन्द्र सिंह

Share this article Share this article
published Published on Apr 6, 2017   modified Modified on Apr 6, 2017

मध्य प्रदेश सघन वनों और अद्भुत जल-संरचनाओं की भूमि है। प्रकृति ने यहां प्रचुर जंगल दिए हैं तो नर्मदा जैसी विशाल और अद्भुत नदी भी दी है। यह सदियों-शताब्दियों से अपने निश्छल स्वरूप में न सिर्फ बहती आई है, बल्कि मानव सभ्यता को प्राण भी देती आई है। किंतु मनुष्य ने अपने विकास की दौड़-होड में इसे बुरी तरह विकृत करना शुरू कर दिया है। आज यह नदी उन तमाम विकारों से भरने लगी हैं, जिनने गंगा और यमुना जैसी विशाल और सदानीरा नदियों को भी पस्त कर दिया है।

 

यह दुर्भाग्य है कि विकास को इस तरह परिभाषित किया गया है कि उसमें प्रकृति का दोहन नहीं बल्कि शोषण होता है। मनुष्य की यह प्रवृत्ति पूरी दुनिया को ऐसे संकट की ओर ले जा रही है, जिससे निपटना मनुष्य के बस में नहीं होगा। कथित विकास से नदी और प्रकृति पर बढ़ते दबाव ने धरती का स्वास्थ्य ही बिगाड़ दिया है।

 

यदि अब भी दीर्घकालीन उपाय नहीं किए गए तो संकट तेजी से हमारी ओर बढ़ता जाएगा। हमें यह समझना होगा कि मानव को यदि स्वस्थ, सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण में रहना है तो प्रकृति के साथ तालमेल बैठाना होगा। नदियों, जल संरचनाओं को स्वस्थ, स्वच्छ और व्यवस्थित रखना ही होगा।

 

मगर फिलहाल तो मध्य प्रदेश की जनता में वह उत्साह या संकल्प दिखाई नहीं देता। मध्य प्रदेश शासन ने 'नर्मदा सेवा यात्रा' निकालकर नर्मदा के प्रति जनजागृति लाने का अच्छा प्रयत्न किया तो है, किंतु ऐसे प्रयासों के बजाय स्थायी काम करने होंगे। मप्र को नर्मदा पर से दबाव हटाने के लिए अपनी अन्य जलसंरचनाओं को भी सुधारना होगा। जितना पानी खेतों व उद्योगों को चाहिए, उससे ज्यादा पानी बरसता है। उसे सहेजने का काम करना होगा। नर्मदा में मिलने वाले नालों को तुरंत रोकना होगा और इसके तटों की रक्षा करनी होगी।

 

ऐसा किए जाने पर ही नदी का कटाव और मिट्टी का क्षरण रुकेगा। तटों पर वृक्षों की सघन श्रृंखला खड़ी करनी होगी। यदि ये सब ईमानदारी से किया गया तो ही नर्मदा बची रह सकेगी। (लेखक मैगसेसे पुरस्कार प्राप्त जल संरक्षक हैं और जलपुरुष नाम से जाने जाते हैं)

 


- See more at: http://naidunia.jagran.com/editorial/expert-comment-rajendra-singh-said-if-we-can-not-save-our-rivers-then-it-is-not-possible-to-we-live-1089041?utm_source=naidunia&utm_medium=home&utm_


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close