उच्च शिक्षा-संस्थानों में कौन कितना बेहतर है, यह निर्धारित करने के लिए सरकार ने एक देसी फ्रेमवर्क बनाया है. संस्थानों को उनकी श्रेष्ठता के क्रम में ऊपर से नीचे सजाने की तरकीब आकर्षक लग सकती है और जरूरी भी. जो अभिभावक अपने होनहारों की उच्च शिक्षा पर बरसों की जमा रकम खर्च करने का फैसला लेते हैं, या फिर जो छात्र अपनी पढ़ाई के लिए सूद की ऊंची दरों पर...
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बैंक हैं महंगाई और मंदी के जिम्मेदार- विनीत नारायण
आईआईटी, दिल्ली के मेधावी छात्र रवि कोहाड़ ने गहन शोध के बाद एक सरल हिंदी में पुस्तक प्रकाशित की है, जिसका शीर्षक है बैंकों का मायाजाल। इस पुस्तक में बड़े रोचक और तार्किक तरीके से बताया गया है कि दुनिया भर में महंगाई, बेरोजगारी और हिंसा के लिए आधुनिक बैकिंग प्रणाली जिम्मेदार है। इन बैंकों का मायाजाल लगभग हर देश में फैला है, पर उसकी असली बागडोर अमेरिका के 13...
More »निरक्षर अब पंचायत के दरवाजे से बाहर-- सुभाष गताडे
भू टान, लीबिया, केन्या, नाईजीरिया और भारत इन देशों में क्या समानता है? वैसे, पहले उल्लेखित चारों देश- जहां जनतंत्र अभी ठीक से नहीं आ पाया है, कहीं राजशाही तो कहीं तानाशाही, तो कहीं जनतंत्र एवं अधिनायकवाद के बीच की यात्रा चलती रहती है- और दुनिया का सबसे बड़े लोकतंत्र कहलानेवाले भारत की किस आधार पर तुलना की जा सकती है? पिछले दिनों आये हरियाणा विधानसभा के एक फैसले...
More »भूजल के अवैध इस्तेमाल पर एनजीटी सख्त
दिल्ली, फरीदाबाद और नोएडा में चल रही निर्माण परियोजनाओं में धड़ल्ले से समरसिबल पम्प लगाकर भूजल का अवैध प्रयोग करने वाले बिल्डरों की अब खैर नहीं है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण इन निर्माण गतिविधियों में पानी की खपत, उस क्षेत्र के भूजल की स्थिति और पानी के लिए किए जा रहे खर्च पर रिपोर्ट तलब की है। निर्माण स्थलों पर औचक निरीक्षण करने के लिए एक समिति भी गठित कर दी।...
More »दर्शकों तक पहुंचने की कठिन डगर - मृणाल पांडे
किसी भी लोकतांत्रिक देश की सरकार और आम आबादी के बीच सहज-सतत संवाद हर कल्याणकारी राज्यव्यवस्था की बुनियादी जरूरत होती है। जब सरकार ने (बीसवीं सदी के अंतिम दशक में) सूचना प्रसार मंत्रालय की मातहती में चलाई जाती रही रेडियो-टीवी की प्रसारण सेवाओं को प्रसार भारती नामक स्वायत्त इकाई को सौंपा था तो शायद उसके पीछे उसके मार्फत राज्य व नागरिकों के बीच एक भरोसेमंद-मजबूत पुल बनाने का ही लक्ष्य...
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