हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देने वाली एक सार्थक पहल के तहत अब केरल में सरकारी स्कूलों के बच्चे हैंडलूम के स्कूल यूनिफार्म पहनेंगे। राज्य सरकार ने यह निर्णय हथकरघा उत्पादों की खपत बढ़ाने के लिए किया है। ध्यान देने वाली बात है कि इन दिनों हैंडलूम को लेकर फिर से चर्चा हो रही है। हाल ही में कपड़ामंत्री स्मृति ईरानी ने भी ट्विटर पर अपनी एक तस्वीर शेयर करते हुए...
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अर्थव्यवस्था और भ्रष्टाचार का घुन-- अरविन्द कुमार सिंह
दुनिया के अनेक देशों की तुलना में भारत भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में पिछड़ रहा है। यह स्थिति तब है जब यहां भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के लिए कानूनों से लैस तमाम एजेंसियां हैं और नागरिक समाज आंदोलित है। वैसे तो भ्रष्टाचार ने पूरी दुनिया को गिरफ्त में ले रखा है, लेकिन अगर भारत की बात करें तो जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां भ्रष्टाचार का बोलबाला न...
More »सात दशक के बाद-- रघु ठाकुर
स्वतंत्रता और स्वाधीनता का क्या अर्थ है? स्वतंत्रता एक व्यवस्थागत आजादी का बोध कराती है। मसलन, स्वतंत्र यानी हमारे देश का अपना प्रशासन, अपनी शासन-प्रशासन प्रणाली। पर स्वाधीनता उससे कुछ ज्यादा व्यापक अर्थ देती है, जिसमें किसी भी प्रकार की अधीनता न हो। एक देश के रूप में हम अपने ही अधीन हों- एक नागरिक के रूप में, हम अपनी अंतरात्मा के अधीन हैं। अब प्रश्न यह है कि आज...
More »व्यर्थ न जाए इरोम का संघर्ष- पार्थ उपाध्याय
संघर्ष की बानगी बन चुकीं इरोम शर्मिला भले ही अपने विरोध का तरीका बदल रही हों लेकिन मानवाधिकार और आंतरिक सुरक्षा के परिप्रेक्ष्य में यह बहस अभी बाकी है कि क्या अफस्पा (सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम) में संशोधन किया जाना चाहिए? अफस्पा को स्थायी रूप से हटा देने के लिए वर्ष 2000 में इरोम ने जो अनशन प्रारंभ किया वह आज तक चालू है, लेकिन अब वे अपने विरोध...
More »न्यायपालिका को तो बख्श दें: एन के सिंह
फ्रांस के समाजशास्त्री अलेक्सी डे टॉक्विले और ब्रिटेन के राजनीतिक दार्शनिक जॉन स्टुअर्ट मिल, दोनों ने 25 साल के अंतराल में लोकतंत्र के दो नए खतरों के प्रति आगाह किया था। पहले का मानना था कि इसमें बहुमत के आतंक के शिकार व्यक्ति के पास बचने का कोई चारा नहीं होता। दूसरे ने इस भय की ओर इंगित किया था कि प्रजातंत्र मात्र एक शासन पद्धति न होकर असंगठित भीड़ की...
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