वर्ष 2019-20 का केंद्रीय बजट एक ऐसे वक्त में पेश होने जा रहा है, जब पूरा विश्व जटिल आर्थिक परिस्थितियों का शिकार है. विश्व की बड़ी औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं में अपस्फीति (डीफ्लेशन) की प्रवृत्ति एक ऐसा जोखिम बनकर उभरी है, जिसके प्रभाव से आगामी कई वर्षों के लिए वैश्विक विकास के अवरुद्ध हो जाने का खतरा मंडरा रहा है. वैसे, यह एक दूसरी बात है कि कच्चे तेल तथा अधिकांश जिंसों...
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पोषण और अंडे का संघर्ष- ज्यां द्रेज
बच्चों को लेकर भारत में एक बड़ा विरोधाभास दिखायी देता है. एक तरफ, घर में बच्चों को बहुत प्रेम किया जाता है. दूसरी तरफ, लोक-नीति में बच्चों पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है. आज भी गरीब बच्चों को न सही शिक्षा मिल रही है, न स्वास्थ्य सुविधा और न ही पोषण. इसके कारण बांग्लादेश और नेपाल की तुलना में भारत के बाल विकास से संबंधित आंकड़े कमजोर हैं. इससे...
More »बोझमुक्त बस्ता एक अच्छा कदम-- अंबरीश राय
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) ने बच्चों के कक्षा-वर्ग के हिसाब से उनके बस्ते के वजन का जो मानक जारी किया है, यह एक अच्छा कदम तो है, लेकिन काफी देर से उठाया गया कदम है. बहुत पहले से ही इस कदम की प्रतीक्षा हो रही थी. साल 1993 में ही प्रो यशपाल की देख-रेख में बनी यशपाल कमेटी ने यह सिफारिश की थी कि बच्चों की पीठ उनके...
More »मलेरिया के मामलों में आयी कमी, लेकिन बड़ी चुनौतियां बरकरार
पूर्व एशिया सम्मेलन 2015 में प्रधानमंत्री ने कहा था कि 2030 तक भारत मलेरिया उन्मूलन के लिए पूर्णत: प्रतिबद्ध है. इसी संकल्प के साथ बीते वर्ष मलेरिया मुक्ति के लिए व्यापक राष्ट्रीय सामरिक योजना शुरू की गयी. सार्वजनिक स्वास्थ्य की तमाम चुनौतियों बावजूद इस दिशा में किये जा रहे प्रयास सफल होते नजर आ रहे हैं. हाल में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी विश्व मलेरिया रिपोर्ट-2018 के अनुसार, भारत...
More »आत्महत्या से बड़ा अपराध नहीं-- आशुतोष चतुर्वेदी
मेरा मानना है कि आत्महत्या और उसमें भी सामूहिक आत्महत्या से बड़ा कोई अपराध नहीं है. पिछले दिनों सामूहिक आत्महत्या की कई घटनाएं सामने आयीं, जो चिंतित करती हैं. इनमें से अधिकांश मामले आर्थिक परेशानियों से जुड़े हुए थे. रांची में आर्थिक तंगी से परेशान दो सगे भाइयों दीपक कुमार झा और रूपेश कुमार झा ने पहले परिवार के पांच सदस्यों की हत्या कर दी और फिर दोनों ने फांसी...
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