यह निर्विवाद सचाई है कि तमाम युद्ध अस्त्रों-शस्त्रों से ही हारे या जीते नहीं जाते, बल्कि जय-पराजय के पलड़े का उठना या गिरना भाषा के सामर्थ्य से भी तय होता है। इसका प्रत्यक्ष चरितार्थ लोकतंत्र के महापर्व की तरह बताए गए लोकसभा के चुनावों में बहुत स्पष्टता के साथ दिखाई दिया। हर दल और हर एक नेता के लिए उसने लगभग युद्ध की शक्ल अख्तियार कर ली। गौर करना दिलचस्प...
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इपीएफओ पेंशन योजना : कम से कम हजार रुपये मासिक पेंशन जल्द
नयी दिल्ली: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (इपीएफओ) की पेंशन योजना (इपीएस-95) के तहत न्यूनतम 1,000 रुपये मासिक पेंशन सुनिश्चित करने का यूपीए सरकार का निर्णय जल्दी ही वास्तविक रूप लेगा. इससे 28 लाख पेंशनभोगी लाभान्वित होंगे. पांच मार्च को चुनाव की घोषणा के बाद आचार संहिता लागू होने के कारण इस निर्णय क्रियान्वित नहीं किया जा सका. इपीएफओ की इपीएस-95 के तहत अंशधारकों को न्यूनतम 1,000 रुपये मासिक पेंशन देने का निर्णय...
More »38 जिलों में गड़ेंगे 42,030 चापाकल
पटना : चुनाव आचार संहिता समाप्त हुई, तो मुख्यमंत्री चापाकल योजना के तहत 38 जिलों में 42,030 चापाकल लगाने का रास्ता साफ हो गया है. योजना के तहत विधायकों व विधान पार्षदों की अनुशंसा पर पंचायतों में पांच, नगर निगम क्षेत्र के वार्डो में तीन, नगर परिषद के वार्डो में दो और नगर पंचायत के वार्ड में एक चापाकल लगाया जाना है. विधायक और विधायकों की अनुशंसा पर चापाकल लगाने का...
More »जातीय विद्वेष की जड़ें- विनोद कुमार
जनसत्ता 16 मई, 2014 : असम की जातीय हिंसा पर कोई सार्थक बातचीत या चर्चा शुरूकरने का खतरा यह है कि कहीं आप अल्पसंख्यक विरोधी करार न दे दिए जाएं। वह भी उस वक्त जब असम में जातीय हिंसा में लोगों के मरने का सिलसिला साल दर साल बढ़ता गया है। ताजा हिंसा इत्तिफाक से मोदी के उस दौरे के तुरंत बाद शुरूहुई, जिसमें उन्होंने घुसपैठियों को देश से निकाल...
More »अब देश की उम्मीदें पूरी करने की चुनौती - परंजॉय गुहा ठाकुरता
विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र निर्णायक ढंग से एक नई दिशा में मुड़ गया है। जिस भगवा लहर के उफान के कयास लगाए जा रहे थे, वह भाजपा और उसकी अगुआई वाले एनडीए के पक्ष में सुनामी बनकर उभरी है। देश के उन हिस्सों में भी नरेंद्र मोदी ने नाटकीय ढंग से अपनी पार्टी की तकदीर बदल दी है, जिनमें वह परंपरागत रूप से मजबूत नहीं रही थी। हिंदी पट्टी...
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