SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 1533

जनवरी में मुद्रास्फीति दर रही 7.6 फीसदी

नई दिल्ली। सरकार ने मंगलवार को पहली बार देशव्यापी खुदरा मूल्य सूचकांकों के आधार पर मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी किए। इसके मुताबिक मुद्रास्फीति जनवरी 2012 में 7.65 प्रतिशत रही। गौरतलब है कि जनवरी में जहा खाद्य एवं पेय पदार्थो की औसत कीमत पिछले वर्ष जनवरी की तुलना में 4.11 प्रतिशत बढ़ी वहीं ईंधन और बिजली एवं कपड़ा तथा जूता-चप्पल संबंधित क्षेत्र में मुद्रास्फीति दोहरे अंक में रही। कुल...

More »

पेश होगी महंगाई की असली सूरत

नई दिल्ली [जाब्यू]। असलियत में आम आदमी पर महंगाई का कितना बोझ पड़ता है, इसका पता अब ज्यादा आसानी से चल सकेगा। केंद्र सरकार इस हफ्ते पहली बार देशव्यापी नया उपभोक्ता मूल्य सूचकांक [सीपीआई] जारी करेगी। नया सूचकांक महंगाई की ज्यादा वास्तविक स्थिति बताएगा। माना जा रहा है कि आगे चलकर मौजूदा थोक मूल्य सूचकांक [डब्ल्यूपीआई] के स्थान पर सरकार इस नए सीपीआई को ही लागू करेगी। ब्याज दरों का निर्धारण...

More »

वित्तमंत्री की नींद क्यों उड़ी है- आनंद प्रधान

जनसत्ता 15 फरवरी, 2012 : वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी की नींद उड़ गई है। उनका कहना है कि जब भी वे सब्सिडी के बढ़ते बोझ के बारे में सोचते हैं, उनकी रातों की नींद उड़ जाती है। असल में, वित्तमंत्री ने चालू वित्तीय वर्ष के बजट में विभिन्न मदों (खासकर खाद्य, उर्वरक और पेट्रोलियम) में कुल 1.43 लाख करोड़ रुपए की सब्सिडी का अनुमान लगाया था, लेकिन रिपोर्टों के मुताबिक, इसमें लगभग एक लाख...

More »

मौजूदा श्रमकानूनों की समीक्षा की जरूरत: मनमोहन

नई दिल्ली, 14 फरवरी (एजेंसी) प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि  बाजार के मौजूदा नियामकीय ढांचे की समीक्षा की जरूरत है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं वह श्रम कल्याण में बिना किसी वास्तविक योगदान के विकास, रोजगार वृद्धि तथा उद्योगों की राह में आड़े तो नहीं आ रहा है। सिंह ने कहा, ‘‘ हालांकि हमारी सरकार अपने कर्मचारियोंं के हितों की रक्षा को लेकर प्रति प्रतिबद्ध...

More »

सदिच्छा का सत्यानाश- इर्शादुल हक

सैकड़ों करोड़ रु की जिस रकम से बिहार के स्कूलों की तस्वीर बदल सकती थी उसका ज्यादातर हिस्सा भ्रष्टाचारियों की जेब में चला गया. इर्शादुल हक की पड़ताल सत्ता के शीर्ष से चले अच्छे इरादों का जमीन तक पहुंचते-पहुंचते किस तरह बंटाधार हो जाता है, इसका उदाहरण है यह घोटाला. इससे यह भी साफ होता है कि योजनाएं कितनी भी अच्छी बन जाएं, जब तक उन्हें अमली जामा पहनाने वाले तंत्र...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close