इस एक तथ्य पर गौर करें। साल 1965-66 अनाज का उत्पादन 19 फीसदी घटा जबकि साल 1987-88 में मात्र 2 फीसदी जबकि इन दोनों ही सालों में खेती सूखे की चपेट में आई। सोचिए कि ऐसा क्यों हुआ ? एफएओ द्वारा प्रकाशित स्मॉल होल्डर्स एंड सस्टेनेबल वेल्स, अ रेट्रोस्पेक्ट: पार्टीसिपेटरी ग्राऊंटवाटर मैनेजमेंट इन आंध्रप्रदेश पुस्तक का उत्तर है कि सुखाड़ की इन दो अवधियों के बीच देश में भूमिगत जलस्रोत के जरिए सिंचाई पर निर्भरता बढ़ी और इसी वजह से...
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जीएम फसलों का ट्रायल रोकना ठीक नहीं: आईसीएआर
कृषि विशेषज्ञों ने कहा- अवैज्ञानिक तरीके से विरोध हो रहा है नई तकनीक का ट्रालय करने से पहले ही जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) फसलों को हानिकारक बताना सही नहीं है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डॉ. एस अय्यप्पन ने कहा कि जब बड़ी आबादी वाले तमाम विकासशील देश जीएम फसलों पर अनुसंधान कर रहे हैं, तब भारत में जीएम फसलों के ट्रालय...
More »पंजाब में चावल, मक्का, सोयाबीन की नई किस्मों को मंजूरी
पंजाब में खेती के लिए चावल, मक्का, कपास, सोयाबीन, गन्ना, बाजरा और मेंथा की आठ किस्मों को मंजूरी दी गई है। पंजाब एग्रीकल्चरल यूनीवर्सिटी (पीएयू) द्वारा विकसित इन किस्मों को स्टेट वैरायटी एप्रूवल कमेटी की बैठक में खेती करने के लिए मंजूरी दी गई। यह बैठक कृषि निदेशक मंगल सिंह संधू की अध्यक्षता में हुई। नई किस्मों की खूबियों के बारे में पीएयू...
More »जीएम फसलों के फील्ड ट्रायल पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देगी सरकार
कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर जैव संवर्धित (जीएम) फसलों के फील्ड ट्रायल के लिए अनुमति देने का अनुरोध करेगी। कृषि मंत्री ने यह भी सुनिश्चित किया है कि सरकार जीएम फसलों की ट्रायल खेती के दौरान सभी सुरक्षा उपाय अपनाएगी। जीएम फसलों के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक तकनीकी विशेषज्ञ समिति (टीईसी) का गठन किया था, जिसने...
More »इस विकास की कीमत- विनोद कुमार
हमारे देश का अभिजात तबका और शहरी मध्यम वर्ग उदारीकरण और नई औद्योगिक नीति का कमोबेश समर्थक है। और उसके पक्ष में दलीलें देता है। इसी तरह दक्षिणपंथी और मध्यवर्ती राजनीतिक दल- चाहे वह कांग्रेस हो, भाजपा हो या बसपा, राजद आदि- नई औद्योगिक नीति के बारे में लगभग मिलते-जुलते विचार रखते हैं। वामपंथी दल उदारीकरण और नई औद्योगिक नीति के बारे में हाल तक थोड़ी भिन्न भाषा का इस्तेमाल...
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