झाबुआ। झाबुआ के आधा दर्जन गांवों में कुपोषण व बीमारियों से तीन माह में हुई 43 बच्चों की मौत ने झाबुआ से लेकर दिल्ली तक कोहराम मचा दिया है। प्रशासन व प्रदेश सरकार जहां इन मौतों से पल्ला झाड़ एक सिरे से नकार रही है। वहीं यह मामला यूनिसेफ व संयुक्त राष्ट्र संघ में गूंजने से केन्द्र सरकार भी सतर्क हो गई है। यही कारण है कि आनन-फानन में केंद्रीय महिला बाल विकास मंत्री कृष्णा...
More »SEARCH RESULT
कब चमकेगी आदिवासियों की किस्मत!
नई दिल्ली [भारत डोगरा]। भारतीय संविधान ने आदिवासी समुदायों की विशेष आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशीलता का परिचय दिया और संविधान की इस भावना के अनुकूल हमारे देश में आदिवासी हितों की रक्षा के अनेक कानून भी बनाए गए, लेकिन इसके बावजूद जमीनी स्तर की वास्तविकता यह रही कि आदिवासियों को कई तरह का अन्याय सहना पड़ा। बड़े पैमाने पर वे जमीन से वंचित हुए व उनकी वन-आधारित आजीविका भी अधिकाश स्थानों पर तेजी से कम होती...
More »चौथी पास एक नन्ही टीचर
अकोढ़ीगोला [रोहतास, कमलेश कुमार]। रेल पटरी के पास पड़ी एक नवजात बच्ची। फुलवा की उस पर नजर पड़ी और घर ले आई। उसे जीने का मकसद और नवजात को नयी जिंदगी मिल गई। फुलवा ने उसका नाम 'भारत' की भारती रखा। उसका सपना कि वह पढ़ लिखकर टीचर बने और समाज को शिक्षित बनाए। फुलवा तो अब नहीं है, लेकिन उसकी बेटी अपने मां के मकसद को जरूर साकार कर रही है। वह टोले...
More »अमीरी-गरीबी के बीच बढ़ता फासला
नई दिल्ली [निरंकार सिंह]। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि 11वीं योजना के अंत तक नौ फीसदी और 12वीं पंचवर्षीय योजना में 10 फीसदी विकास दर का लक्ष्य होना चाहिए। इसके साथ यह भी सुनिश्चित करना होगा कि इसका फायदा समाज के हर वर्ग को मिले। इनकी सरकार लगातार समावेशी विकास के दावे कर रही है, लेकिन उसने विकास के उन तौर तरीकों को अपनाया है, जिससे समाज में विषमता बढ़ गई है। अमीरी और...
More »नहीं रुक रहा बाघों की मौत का सिलसिला
नई दिल्ली। इस साल जनवरी के बाद केवल दस हफ्तों में देश के अनेक अभयारण्यों में कम से कम 13 बाघों की मौत हो गई, जिनमें जनवरी और मार्च में पांच-पांच बाघों की मौत हुई। पिछले साल 60 बाघों की मौत दर्ज की गई थी। दुनिया में केवल 3500 बाघ बचे हैं, जिनमें से 1411 भारत में हैं। यह सब तब हो रहा है जबकि, पूरी दुनिया इस संकटग्रस्त प्रजाति की...
More »