छत्तीसगढ़ के सुदूर अंचलों में आज भी महिलाओं को पुरुषों से ऊंचा दर्जा दिया जाता है और इसकी शुरुआत होती है परिवार में बेटियों को तवज्जो देने से. लेकिन राज्य की राजनीति में यह तस्वीर बिल्कुल उल्टी है. प्रियंका कौशल की रिपोर्ट. राजनीति में परिवारवाद ऐसी बुराई हो चली है जिसके खिलाफ कोई मुहिम नहीं छेड़ी जा सकती. अब यदि ऐसा है तो क्या इसमें कुछ सकारात्मक पक्ष खोजा जा सकता...
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गरीबों की सेहत का रखवाला बाजरा
एक जमाने से बाजरा गरीबों की सेहत का रखवाला माना जाता रहा है और अब जर्नल ऑव न्यूट्रीशन में प्रकाशित एक अध्ययन से इस बात की पुष्टी हुई है कि बाजरे की कई नई किस्मों में आयरन की मात्रा कई गुना बढ़ायी जा सकती है। मान्यता रही है कि बाजरे में अन्य अनाजों की तुलना में आयरन की मात्रा 10 फीसद ज्यादा होती है और आयरन की कमी से ग्रस्त...
More »यहां सरकार नहीं समाज चलाता है स्कूलों को
अलगाववाद के कारण तबाह-परेशान देश के उत्तरपूर्वी राज्य नगालैंड ने स्कूली शिक्षा के मामले में देश को नयी राह दिखायी है. यहां सरकार ने राज्य के 15 सौ के करीब स्कूलों को समाज को सौंप दिया. इन स्कूलों का संचालन समाज ही करता है. वही शिक्षकों के कामकाज और मिड-डे मील की गुणवत्ता का निर्धारण करता है और स्कूल के बजट को अपने हाथों से खर्च करता है. इस प्रयोग...
More »आदिम जनजातियों पर ज्यादा फोकस
मिड डे मील योजना यह जाहिर है कि झारखंड की आदिम जनजातियों में शिक्षा की दर बेहद कम है. उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए यह जरूरी है कि उनमें शिक्षा का तेजी से और ज्यादा-से-ज्यादा प्रसार हो. इसलिए पहाड़िया आदिम जनजाति के छात्र-छात्रों के लिए विशेष मिड डे मील योजना चलायी जा रही है. झारखंड के कल्याण विभाग द्वारा यह योजना सभी पहाड़िया दिवा कालीन स्कूलों में चलायी...
More »प्राकृतिक खेती से पटखनी खाती आधुनिक खेती
मैं महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में कृषि कार्य करता हूं. वहां 1975 से आज तक मैं खेती कर रहा हूं. 1960 के बाद जो खेती में व्यवस्थाएं प्रारंभ हुईं, वहीं से मैंने शुरु आत की थी. अब तक मुझे कृषि विज्ञान दो स्वरूपों में दिखा है. जब मैंने खेती प्रारंभ की तो उस समय परावलंबन का विज्ञान था. उस वक्त मैंने रासायनिक खाद, जहरीली दवाईयां और बाहर से बीज लाकर खेती...
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